Sanskrit class 8 chapter 2 Hindi translation

Sanskrit class 8 chapter 2

Sanskrit class 8 chapter 2 Hindi translation, बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता [बिल (गुफा) की वाणी मैंने कभी भी नहीं सुनी] प्रस्तुत पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध कथाग्रन्थ पञ्चतन्त्रम् के तृतीय तन्त्र काकोलूकीयम् से संकलित है। पञ्चतन्त्र के मूल लेखक विष्णु शर्मा हैं। इसमें पाँच खण्ड हैं जिन्हें ‘तन्त्र कहा गया है। 

द्वितीयः पाठः बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता

[बिल (गुफा) की वाणी मैंने कभी भी नहीं सुनी]

पाठ परिचय- Sanskrit class 8 chapter 2

प्रस्तुत पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध कथाग्रन्थ पञ्चतन्त्रम् के तृतीय तन्त्र काकोलूकीयम् से संकलित है। पञ्चतन्त्र के मूल लेखक विष्णु शर्मा हैं। इसमें पाँच खण्ड हैं जिन्हें ‘तन्त्र कहा गया है। इनमें गद्य-पद्य रूप में कथाएँ दी गयी हैं जिनके पात्र मुख्यतः पशु-पक्षी हैं।

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पाठ के गद्यांशों का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम्

1.कस्मिंश्चित् वने _________________________ तिष्ठामि” इति।

कठिन शब्दार्थ-

कदाचित् = किसी समय। इतस्ततः = इधर-उधर। पारिभ्रमन् = घूमता हुए। आहारं = भोजन। महतीं = विशाल। निगूढो भूत्वा = छिपकर।

हिन्दी अनुवाद-

किसी वन में खरनखर नामक सिंह रहता था। उसने किसी समय इधर-उधर घूमते हुए भूख से व्याकुल होकर कुछ भी भोजन (आहार) प्राप्त नहीं किया। इसके बाद सूर्यास्त के समय (सायंकाल) एक विशाल गुफा को देखकर उसने सोचा “निश्चय ही इस गुफा में रात को कोई भी जीव आता है। इसलिए यहाँ पर छिपकर मैं बैठ जाता हूँ।”

 

पठितावबोधनम् Sanskrit class 8 chapter 2

निर्देश:-

उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानां यथानिर्देशम् उत्तराणि लिखत-

प्रश्ना:-

(i) सिंहस्य किन्नाम आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- खरनखरः।

 

(ii) गुहायां कदा कोऽपि जीव: आगच्छति? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- रात्रौ।

 

(iii) क्षुधार्त:  सिंहः कुत्र किञ्चिदपि न प्राप्तवान्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)

उत्तरम्- क्षुधार्त:  सिंहः वने किञ्चिदपि आहारं न प्राप्तवान्?

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(iv) ‘इतस्ततः’ इति पदस्य सन्धिच्छेदं कुरुत।

उत्तरम्- इतः + ततः।

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2. एतस्मिन् अन्तरे _____________________ करवाणि?”

एवं विचिन्त्य __________________________ बिलं यास्यामि इति।”

कठिन शब्दार्थ-

समागच्छत् = आया। सिंहपदपद्धति = शेर के पैरों के चिह्न। बहिरागता = बाहर आते हुए। विनष्टोऽस्मि = नष्ट हो गया हूँ। तर्कयामि = सोचता हूँ। विचिन्त्य = विचार करके। दूरस्थः = दूर स्थित होकर। रवम् = आवाज। समयः = शर्त।

हिन्दी अनुवाद-

इसी बीच में गुफा का स्वामी दधिपुच्छ नामक गीदड़ आ गया। और वह जैसे ही देखता है कि तभी उसे शेर के पैरों के चिह्न गुफा के अन्दर प्रवेश करते हुए दिखाई दिए और बाहर आते हुए नहीं। गीदड़ ने सोचा”अहो। मैं तो नष्ट हो गया (मर गया) हैं। अवश्य ही इस गुफा में शेर है, ऐसा मैं सोच रहा हूँ। इसलिए अब मैं क्या करूं?”

इस प्रकार विचार करके वह दूर स्थित होकर आवाज करने लगा- “हे गुफा! हे गुफा! क्या तुम्हें याद नहीं है। कि मेरे द्वारा तुम्हारे साथ शर्त की गई थी कि जब मैं बाहर से वापस आऊँगा, तब तुम मुझे बुलाओगी? यदि तुम मुझे नहीं बुलाओगी? यदि तुम मुझे नहीं बुलाओगी तो मैं दूसरी गुफा में चला जाऊंगा।”

 

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पठितावबोधनम् Sanskrit class 8 chapter 2

1. प्रश्ना:-

(i)  गुहायां प्रविष्टा का दृश्यते स्म? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- सिंहपदपद्धतिः।

 

(ii)  बिले कः अस्ति? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- सिंहः।

 

(iii)  गुहाया: स्वामी कः आसीत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)

उत्तरम्- गुहायाः स्वामी दधिपुच्छ: नाम शृगालः आसीत्।

 

(iv) ‘स च यावत् पश्यति-‘ इत्यत्र ‘सः’ सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्?,

उत्तरम्- शृगालाय।

 

2. प्रश्ना:-

(i)  शृगालः दूरस्थः किं कर्तुम् आरब्धः? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- रवम्।

 

(ii)  बिलेन सहः कः समयः कृतोऽस्ति? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- शृगालः।

 

(iii)  शृगालः कुत्र यास्यति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)

उत्तरम्- शृगालः द्वितीयं बिलं प्रति यास्यति।

 

(iv) ‘प्रत्यागमिष्यामि’ इति पदे कः लकार:?

उत्तरम्- लृट्लकारः।

 

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3. अथ एतच्छ्रुत्वा _____________________ किञ्चित् वदति।”

अथवा साध्विदम् उच्यते

भयसन्त्रस्तमनसां  ___________________________ भवेत्॥

अन्वयः-

भयसन्त्रस्तमनसां हस्तपादादिकाः क्रिया: वाणी च न प्रवर्तन्ते, वेपथः च अधिक: भवेत्।

कठिन शब्दार्थ-

एतच्छ्रुत्वा = यह सुनकर। साध्विदम् = यह ठीक ही। उच्यते  = कहा गया है। समाह्वानम् = आहान/बुलाना।

भयसन्त्रस्तमनसांम् = डरे हुए मन वालों का। हस्तपादादिकाः- हाथ-पैर आदि से सम्बन्धित। वेपथुः =  कम्पन।

हिन्दी अनुवाद-

इसके बाद यह (गीदड़ की आवाज सुनकर शेर ने सोचा “निश्चय ही यह गुफा अपने स्वामी को हमेशा बुलाती होगी, परन्तु मेरे भय से कुछ भी नहीं बोल रही है।”

अथवा यह ठीक ही कहा गया है कि-

श्लोक का भावार्थ-

डरे हुए मन वाले के हाथ-पैर आदि से सम्बन्धित क्रियाएँ रुक जाती हैं, उसकी वाणी भी रुक जाती है और उसके शरीर में कम्पन भी अधिक होने लगता है। अर्थात् भयभीत प्राणी की स्थिति देखकर ही उसके भय का पता चल जाता है।

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4. तदहम् अस्य आह्वान ___________________ इममपठत्

अनागतं यः ______________________________मे श्रुता।।

अन्वयः-

य: अनागतं कुरुते, स: शोभते। यः अनागतं न करोति, सः शोच्यते। अत्र वने संस्थस्य (मे) जरा समागता, (परम्) कदापि बिलस्य वाणी मे न श्रुता।

कठिन शब्दार्थ-

तदहम् (तत् + अहम्) = इसलिए मैं। भोज्यम् = भोजन योग्य (पदार्थ) । इत्थम् = इस प्रकार। विचार्य = विचार करके। पलायमानः = भागते हुए।

अनागतम् = नहीं आए हुए (दु:ख) को। शोच्यते = चिन्तनीय होता है। संस्थस्य = रहते हुए का। जरा = बुढ़ापा।

हिन्दी अनुवाद-

इसलिए मैं इसका (गीदड़ का) आह्वान करता हूँ। इस प्रकार वह (गुफा) में प्रवेश करके मेरा भोजनयोग्य (पदार्थ) हो जायेगा। इस प्रकार विचार करके शेर ने एकाएक गीदड़ का आह्वान किया। शेर की उच्च गर्जना की प्रतिध्वनि के द्वारा उस गुफा ने उच्च स्वर से गीदड़ का आह्वान किया। इससे अन्य पशु भी भयभीत हो गये। गीदड़ भी वहाँ से दूर भागता हुआ यह पढ़ने लगा-

श्लोक का भावार्थ-

नहीं आए हुए कष्ट का जो पहले ही निराकरण करता है वह सुशोभित (सकुशल) होता है, जो नहीं आए हुए कष्ट का निराकरण नहीं करता है वह चिन्तनीय होता है। इस वन में रहते हए मेरा बुढापा आ गया है किन्तु मैंने बिल (गुफा) की वाणी कभी नहीं सुनी।

Class 8 Sanskrit chapter 2 question answer

पठितावबोधनम् Sanskrit class 8 chapter 2

1. प्रश्ना :

(i) सिंहः सहसा कस्य आह्वानमकरोत्? (एकपदेन उत्तरत)

 उत्तरम्- शृगालस्य।

(ii) अन्येऽपि के भयभीताः अभवन्? (एकपदेन उत्तरत)

उत्तरम्- पशवः।

(iii) केन गुहा उच्चैः शृगालम् आह्वयत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)

उत्तरम्- सिंहस्य उच्चगर्जन-प्रतिध्वनिना गुहा उच्चैः शृगालम् आह्वयत्।

(iv) तदहम् अस्य आह्वानं करोमि’-अत्र ‘अहम्’ सर्वनामस्थाने संज्ञापदं किम्? ।

उत्तरम्- सिंहः।

 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. उच्चारणं कुरुत-

कस्मिंश्चित् विचिन्त्य साध्विदम् क्षुधातः एतच्छ्रुत्वा भयसन्त्रस्तमनसाम् सिंहपदपद्धतिः समाह्वानम् प्रतिध्वनिः।

उत्तरम्-  नोट–उपर्युक्त पदों का उच्चारण अध्यापकजी की सहायता से कीजिए।

प्रश्न 2. एकपदेन उत्तरं लिखत-

(क) सिंहस्य नाम किम्?

स्माश्चत् विचिन्त्य साध्विदम् क्षुधार्तः एतच्छ्रुत्वा सनस्तमनसाम् सिंहपदपद्धति: समाहानम् प्रतिध्वनिः।।

उत्तरम्- खरनखरः।

 

(ख) गुहायाः स्वामी कः आसीत्?

उत्तरम्- शृगालः।

(ग) सिंहः कस्मिन् समये गुहायाः समीपे आगतः?

उत्तर- सूर्यास्तसमये।

(घ) हस्तपादादिकाः क्रियाः केषां न प्रवर्तन्ते?

उत्तर- भयसन्त्रस्तमनसांम्।

(ङ) गुहा केन प्रतिध्वनिता?

उत्तर- सिंहेन।

 

प्रश्न 3. पूर्णवाक्येन उत्तरत Sanskrit class 8 chapter 2

(क) खरनखरः कुत्र प्रतिवसति स्म?

उत्तरम्- खरनखरः कस्मिंश्चित् वने प्रतिवसति स्म।

 

(ख) महतीं गुहां दृष्ट्वा सिंहः किम् अचिन्तयत्?

उत्तरम्- सिंहः अचिन्तयत्-“नूनम् एतस्यां गुहायां रात्रो कोऽपि जीवः आगच्छति। अतः अत्रैव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि।”

 

(ग) शृगालः किम् अचिन्तयत्?

उत्तरम्- शृगालः अचिन्तयत्-“अहो विनष्टोऽस्मि। नूनम् अस्मिन् बिले सिंहः अस्तीति तर्कयामि। तत् किं करवाणि?”

 

(घ) शृगालः कुत्र पलायित:?

उत्तरम- शृगालः दूरं पलायितः।

 

(ङ) गुहासमीपमागत्य शृगालः किं पश्यति?

उत्तरम्- गुहासमीपमागत्य शृगालः पश्यति यत्  “सिंहपदपद्धति: गुहायां प्रविष्टा: दृश्यते, न च बहिरागताः।”

 

(च) कः शोभते?

उत्तरम्- य: अनागतं कुरुते सः शोभते।

 

प्रश्न 4. रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- Sanskrit class 8 chapter 2

(क) क्षुधात: सिंहः कुत्रापि आहारं न प्रासवान्?

(ख) दधिपुच्छ: नाम शृगाल: गुहायाः स्वामी आसीत्।

(ग) एषा गुहा स्वामिनः सदा आह्वानं करोति।

(प) भयसन्त्रस्तमनसां हस्तपादादिकाः क्रिया: न प्रवर्तन्ते ।

(ङ) आहानेन शृगाल: बिले प्रविश्य सिंहस्य भोज्यं भविष्यति।

उत्तरम्-प्रश्ननिर्माणम्-

(क) कीदृशः सिंहः कुत्रापि आहारं न प्राप्तवान्?

(ख) किम् नाम शृगालः गुहाया: स्वामी आसीत्?

(ग) एषा गुहा कस्य सदा आहानं करोति?

(घ) भयसन्त्रस्तमनसां का: क्रियाः न प्रवर्तन्ते?

(ङ) आहानेन शृगालः कुत्र प्रविश्य सिंहस्य भोज्य भविष्यति?

 

प्रश्न 5. घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत- Sanskrit class 8 chapter 2

(क) गुहायाः स्वामी दधिपुच्छ: नाम शृगालः समागच्छत्।

(ख) सिंह: एका मही गुहाम् अपश्यत्।

(ग) परिभ्रमन् सिंहः क्षुधार्तो जातः।

(घ) दूरस्थः शृगालः रवं कर्तुमारब्धः।

(ङ) सिंहः शृगालस्य आह्वानमकरोत् ।

(च) दूरं पलायमानः शृगालः श्लोकमपठत्।

(छ) गुहायां कोऽपि अस्ति इति शृगालस्य विचारः।

उत्तराणि-

(1) (ग) परिभ्रमन् सिंहः क्षुधार्तो जातः।

(2) (ख) सिंह: एका महती गुहाम् अपश्यत्।

(3) (क) गुहायाः स्वामी दधिपुच्छ: नाम शृगालः समागच्छन्।

4(छ) गुहायां कोऽपि अस्ति इति शृगालस्य विचारः।

5(घ) दूरस्थः शृगालः रवं कर्तुमारब्धः।

6(ङ) सिंहः शृगालस्य आह्वानमकरोत्।

7(च) दूरं पलायमानः शृगालः श्लोकमपठत्।

 

प्रश्न 6. यथानिर्देशमुत्तरत- Sanskrit class 8 chapter 2

(क) एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा सः अचिन्तयत् अस्मिन  वाक्ये कति विशेषणपदानि, संख्यया सह पदानि अपि लिखत?

उत्तरम्- अस्मिन् वाक्ये द्वे विशेषणपदे स्त:- एकाम्, महतीम्।

 

(ख) तदहम् अस्य आह्वानं करोमि– अत्र ‘अहम्’ इति पदं कस्मे प्रयुक्तम्?

उत्तरम्- अत्र ‘अहम्’ इति पदं सिंहाय प्रयुक्तम्।

 

(ग) यदि त्वं मां न आह्वयसि अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम्?

उत्तरम्- अत्र ‘त्वम्’ इति कर्तृपदम्।

 

(घ) सिंहपदपद्धतिः गुहायां प्रविष्टा दृश्यते अस्मिन् वाक्ये क्रियापदं किम्?

उत्तरम्- ‘दृश्यते’ इति क्रियापदम्।

 

(ङ) वनेत्र संस्थस्य समागता जरा अस्मिन् वाक्ये अव्ययपदं किम्?

उत्तरम्- अस्मिन् वाक्ये ‘अत्र’ इति अव्ययपदम्।

 

प्रश्न 7. मञ्जूधातः अव्यवपदानि चित्वा रिक्त-स्थानानि पूरयत- Sanskrit class 8 chapter 2

कश्चन, दूरे, नीचैः, यदा, तदायदि, तर्हि, परम,, सहसा

उत्तरम्- एकस्मिन् वने कश्चन व्याघ: जालं विस्तीर्य दूरे स्थितः। क्रमशः आकाशात् सपरिवारः कपोतराज नीचैः आगच्छत्। यदा कपोताः तण्ड्लान् अपश्यन् तदा तेषां लोभो जातः। परं राजा सहमतः नासीत्। तस्य युक्ति: आसीत् यदि वने कोऽपि मनुष्यः नास्ति तर्हि कुतः तण्डुलाना सम्भवः। राज्ञः उपदेशम् अस्वीकृत्य कपोता: तण्डुलान् खादा प्रवृत्ताः जाले निपतिताः।

अतः उक्तम् सहसा’ विदधीत न क्रियाम्’।

 

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 2

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर- Sanskrit class 8 chapter 2

बहुविकल्पात्मक-प्रश्ना:-

1. प्रदत्तविकल्पेभ्यः अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि चित्वा लिखत-

(i)  सिंहस्य किन्नाम आसीत्?

(अ) नखमुखः

(ब) खरनखरः

(स) दधिपुच्छः

(द) लम्बोदर:

उत्तरम्-  (ब) खरनखरः

 

(ii) शृगालस्य नाम किम् आसीत?

(अ) दधिमुखः

(ब) चित्रकः

(स) विचित्रक:

(द) दधिपुच्छ:

उत्तरम्-  (द) दधिपुच्छ:

 

(iii) गुहायां कस्य पदपद्धतिः प्रविष्टा दृश्यते?

(अ) सिंहस्य

(ब) शृगालस्य

(स) गजस्य

(द) व्याघ्रस्य

उत्तरम्-  (अ) सिंहस्य

 

(iv) कस्य वाणी कदापि न श्रुता?

(अ) सिंहस्य

(ब) सर्पस्य

(स) बिलस्य

(द) शृगालस्य

उत्तरम्-  (स) बिलस्य

 

(v) ‘दृष्ट्वा ‘ पदे कः प्रत्ययः?

(अ) ल्यप्

(ब) क्त्वा

(स) तुमुन्

(द) तमप्

उत्तरम्-  (ब) क्त्वा

 

(vi) ‘अचिन्तयत्’ इति पदे कः लकार:?

(अ) लट्

(ब) लोट्

(स)  लृट्

(द) लङ

उत्तरम्-  (द) लङ

 

(vii) ‘स: रवं कर्तुम् आरब्धः’ इत्यत्र सर्वनामपदं किम्?

(अ) सः

(ब) कर्तुम्

(स) रवम्

(द) आरब्धः

उत्तरम्-  (अ) सः

 

(viii) ‘नूनम् अस्मिन् बिले सिंहः अस्ति’-इत्यत्र अव्ययपदं

(अ) सिंह:

(ब) अस्मिन्

(स) नूनम्

(द) अस्ति

उत्तरम्-  (स) नूनम्

 

प्रश्न 2. अधोलिखितवाक्येषु मजूधातः उचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- Sanskrit class 8 chapter 2

मञ्जूषा

नूनम्,  सदा,  गहां,  सिंहः,  तिष्ठामि

(i) सिंह: एकां महती गुहां दृष्टवान्।

(ii) अहम् अत्रैव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि

(iii)  नूनम् अस्मिन् बिले सिंहः अस्ति।  

(iv) एतच्छ्रुत्वा सिंहः अचिन्तयत्।

(v) एषा गुहा स्वामिनः सदा समाह्वानं करोति।

 

Sanskrit class 8 chapter 2 Extra Questions

अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना:प्रश्न:- Sanskrit class 8 chapter 2

अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-

(क) क्षुधातः सिंहः किम् न प्राप्तवान्?

उत्तरम्-  आहारम्।

 

(ख) का गुहायां प्रविष्टा दृश्यते?

उत्तरम्-  सिंहपदपद्धतिः।

 

(ग) क: दूरस्थ: रवं कर्तुमारब्धः?

उत्तरम्-  शृगाल:।

 

(घ) गुहा कस्य समाहानं करोति?

उत्तरम्-  स्वामिनः।

 

(ङ) सिंहः सहसा कस्य आह्वानम् अकरोत्?

उत्तरम्-  शृगालस्य।

 

लघूत्तरात्मकप्रश्ना:- Sanskrit class 8 chapter 2

प्रश्न 1. अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत-

(क) इतस्ततः परिभ्रमन् सिंहः किम् न प्राप्तवान्?

उत्तरम्- इतस्तत: परिभ्रमन् सिंह: आहारं न प्राप्तवान्। 

 

(ख) कस्य भयात् गुहा न किञ्चिदपि वदति स्म?

उत्तरम्- सिंहस्य भयात् गुहा न किञ्चिदपि वदति स्म।

 

(ग) कः शोभते?

उत्तरम्- य: अनागतं कुरुते सः शोभते।

 

(घ) कः शोच्यते?

उत्तरम्- यः अनागतं न करोति स: शोच्यते।

 

(ङ) केषां हस्तपादादिकाः क्रियाः न प्रवर्तन्ते?

उत्तरम्- भयसन्त्रस्तमनसां हस्तपादादिकाः क्रिया: न प्रवर्तन्ते।

 

 

प्रश्न 2. रेखाङ्कितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- Sanskrit class 8 chapter 2

(i) वने खरनखरः नाम सिंहः प्रतिवसति स्म।  

(ii) सः इतस्ततः परिभ्रमन् क्षुधातः जातः।

(iii) सिंहः किञ्चिदपि आहारं न प्राप्तवान्।

(iv) सूर्यास्तसमये सः एकां महतीं गुहां दृष्टवान्।

(v) एतस्यां गुहायां रात्री कोऽपि जीवः आगच्छति।

(vi) अत्रैव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि।

(vii) तदैव गुहायाः स्वामी श्रृगालः समागच्छत्।

(viii) सिंहपदपद्धतिः गुहायां प्रविष्टा दृश्यते।

(ix) एतत् श्रुत्वा सिंहः अचिन्तयत्।

(x) अनेन अन्येऽपि पशवः भयभीताः अभवन्।

 

उत्तरम्-प्रश्न-निर्माणम्

(i) वने किन्नाम सिंहः प्रतिवसति स्म?

(ii) सः इतस्ततः परिभ्रमन् कीदृशः जातः?

(iii) सिंहः किञ्चिदपि किम् न प्राप्तवान्?

(iv) सूर्यास्तसमये सः एका महतीं कां दृष्टवान्?

(v) एतस्यां गुहायां कदा कोऽपि जीवः आगच्छति?

(vi) अत्रैव कीदृशो भूत्वा तिष्ठामि?

(vii) तदैव कस्याः स्वामी श्रृगालः समागच्छत्?

(viii)  का गुहायां प्रविष्टा दृश्यते?

(ix) एतत् श्रुत्वा : अचिन्तयत्?

(x) अनेन अन्येऽपि के भयभीताः अभवन्?

 

Class 8 Sanskrit Chapter 2

निबन्धात्मकप्रश्नाः- Sanskrit class 8 chapter 2

प्रश्न 1. “बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता” इति कथायाः सार: हिन्दीभाषायां लिखत।

उत्तर-

कथा का सार- 

किसी वन में खरनखर नामक एक  शेर रहता था। एक बार वह इधर-उधर घूमता रहा किन्तु उसे भोजन के योग्य कोई भी जीव नहीं मिला। सायंकाल को उसने एक विशाल गुफा को देखकर सोचा कि “अवश्य ही इस गुफा में रात को कोई जीव आता है, इसलिए मैं यहीं पर छिपकर बैठ जाता है।

” इसी बीच उस गुफा का स्वामी दधिपुच्छ नामक गीदड़ जब वहाँ आया तो उसने गुफा के अन्दर जाते हुए शेर के पैरों के चिह्न देखें, जो बाहर नहीं आ रहे थे। गीदड़ ने सोचा कि “निश्चय ही इसमें शेर है। अब मैं क्या करूँ?” वह एक उपाय सोचकर दूर से ही बोलने लगा.” हे गुफा ! क्या तम्हें याद नहीं है कि मेरी तुम्हारे साथ यह शर्त थी कि जब  मैं बाहर से वापस आऊंगा तब तुम मुझे आवाज देकर बुलाओगी। यदि तुम नहीं बुलाती हो तो मैं दूसरी गुफा मे चला जाऊंगा।”

गीदड की आवाज सुनकर शेर ने सोचा कि “अवश्य ही यह गुफा अपने स्वामी को बुलाती है, किन्तु मेरे भय से यह कुछ भी नहीं बोल रही है।” इसलिए मैं इसे बुलाता हूँ, जिससे गुफा के अन्दर आने पर वह मेरा आहार बनेगा। ऐसा सोचकर शेर ने जोर से गीदड़ का आह्वान किया। शेर की उच्च गर्जना की प्रतिध्वनि से उस गुफा ने भी गीदड़ का आह्वान किया। इससे अन्य पशु भी भयभीत हो गये और गीदड़ भी वहाँ से दूर भागता हुआ यह

श्लोक पढ़ने लग

जो आने वाले कष्ट का निराकरण कर लेता है वही सकुशल रहता है और जो आने वाले कष्ट का निराकरण नहीं करता है वह चिन्तनीय होता है। इसी वन में रहते  हुए मेरा बुढ़ापा आ गया किन्तु मैंने कभी भी गुफा की वाणी नहीं सुनी। इस प्रकार अपनी चतुरता से गीदड़ के प्राण बच गये  और शेर बिना विचारे ही कार्य करने से भूखा ही रह गया।

 

प्रश्न 2. अधोलिखितानि क्रमरहितवाक्यानि  घटनाक्रमानुसारं पुनः लिखत- Sanskrit class 8 chapter 2

(i) अनेन अन्येऽपि पशवः भयभीताः अभवन्।

(ii) एवं विचिन्त्य शृगाल: दूरस्थः रवं कर्तुमारब्धः।

(iii) वने खरनखर: नाम सिंहः प्रतिवसति स्म।

(iv) शृगालः ततः दूरं पलायमानः श्लोकमपठत्।  

उत्तरम्-क्रमानुसारं वाक्यानि

(1)  (iii) वने खरनखर: नाम सिंहः प्रतिवसति स्म।

(2)  (ii) एवं विचिन्त्य शृगाल: दूरस्थः रवं कर्तुमारब्धः।

(3)  (i) अनेन अन्येऽपि पशवः भयभीताः अभवन्।

(4)  (iv) शृगालः ततः दूरं पलायमानः श्लोकमपठत्।  

 

 

 

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