NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

पाठ  परिचय- Class 9 Sanskrit प्रस्तुत पाठ विष्णुशर्मा द्वारा रचित पञ्चतन्त्रम्’ नामक कथा-ग्रन्थ के मित्रभेद’ नामक तन्त्र से सङ्कलित है। इसमें विदेश से लौटकर जीर्णधन नामक व्यापारी अपनी धरोहर (तराजू) को सेठ से माँगता है। तराजू चूहे खा गये हैं’ ऐसा सुनकर जीर्णधन उसके पुत्र को स्नान के बहाने नदी तट पर ले जाकर गुफा में छिपा देता है। सेठ द्वारा अपने पुत्र के विषय में पूछने पर जीर्णधन कहता है कि ‘पुत्र को बाज उठा ले गया है।’ इस प्रकार विवाद करते हुए दोनों न्यायालय पहुँचते हैं जहाँ धर्माधिकारी उन्हें समुचित न्याय प्रदान करते हैं।

अष्टमः पाठः लौहतुला (लोहे की तराजू)

पाठ का सप्रसंग हिन्दी  अनुवाद

(1) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

आसीत् कस्मिंश्चिद् ………………… मूषकैर्भक्षिता” इति।

कठिन  शब्दार्थ- अधिष्ठाने = स्थान पर। वणिक्पुत्रः = व्यापारी, बनिया का पुत्र । विभवक्षयात् = धन के अभाव के कारण । देशान्तरं = दूसरे देश में। गन्तु-मिच्छन् = जाने की इच्छा करता हुआ। व्यचिन्तयत् = सोचा। स्ववीर्यतः = अपने पराक्रम से। भुक्ताः = भोगे गये। विभवहीनः = धन से रहित । वसेत् = रहता है। पुरुषाधमः = अधम (नीच) मनुष्य।

लौहघटिता = लोहे से बनी हुई। पूर्वपुरुषोपार्जिता = पूर्वजों द्वारा अर्जित। तुला = तराजू। श्रेष्ठिनः = सेठ के। निक्षेपभूताम् = धरोहर-स्वरूप। प्रस्थितः = चला गया। सुचिरम् = अत्यधिक। भ्रान्त्वा = पर्यटन करके। स्वपुरमागत्य = अपने नगर में आकर। उवाच = बोला। दीयताम् = दीजिए। मूषकैः = चूहों द्वारा।

प्रसंग- प्रस्तुत कथांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी’ (प्रथमोभागः) के लौहतुला’ नामक पाठ से उद्धृत किया गया है। मूलतः यह पाठ संस्कृत के सुप्रसिद्ध कथा-ग्रन्थ पञ्चतन्त्रम्’ के मित्रभेद’ नामक तन्त्र से संकलित किया गया है। इस अंश में नष्ट हुए धन वाले किसी व्यापारी द्वारा धन कमाने हेतु दूसरे देश में जाते समय अपनी पुस्तैनी लोहे की तराजू को धरोहर रूप में रखने का तथा वापस आकर माँगने पर सेठ द्वारा बहाना बनाकर तुला लौटाने से मना करने का वर्णन हुआ है।

हिन्दी अनुवाद- किसी स्थान पर जीर्णधन नामक कोई व्यापारी (बनिया का पुत्र) रहता था। धन के नष्ट हो जाने के कारण दूसरे देश में जाने की इच्छा करते हुए उसने सोचा कि जिस देश अथवा स्थान पर अपने पराक्रम द्वारा अत्यधिक ऐश्वर्य का भोग किया हो, उसी स्थान पर जो मनुष्य धनहीन होकर रहता है तो वह अधम (नीच) मनुष्य माना जाता है। और उसके घर में पूर्वजों द्वारा अर्जित एक लोहे से बनी हुई तराजू थी। और उस तराजू को किसी सेठ के घर में धरोहर के रूप में रखकर वह दूसरे देश में चला गया।

इसके बाद बहुत समय तक दूसरे देश में इच्छानुसार भ्रमण करके वह फिर से अपने नगर में आकर सेठ से बोला “हे सेठजी! मेरी वह धरोहर रूप में रखी हुई तराजू दीजिए।” वह बोला-“अरे! वह तराजू तो नहीं है, तुम्हारी तराजू को चूहे खा गए।”

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(2) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

जीर्णधन अवदत्-“भोः श्रेष्ठिन्! …………………………. गृहमागतः।

कठिन शब्दार्थ- अवदत् = कहा। ईदृगेव = इसी प्रकार का ही। नद्याम् = नदी में। आत्मीयम् = अपना। शिशम् = बालक को। स्नानोपकरणहस्तम् = स्नान की सामग्री से युक्त हाथ वाला। प्रेषय = भेज दीजिए। पितृव्यः = पिता-तुल्य, चाचा । यास्यति = जायेगा। सार्धम् = साथ। प्रहृष्टमनाः = प्रसन्न मन से। आदाय = लेकर। अभ्यागतेन = अतिथि के। प्रस्थितः = चला गया। तथानुष्ठिते = वैसा होने पर। स्नात्वा = स्नान करके। गिरि गुहायाम् = पर्वत की गुफा में। प्रक्षिप्य = फेंककर। सत्वरं = शीघ्र ही।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी’ (प्रथमोभागः) के लौहतुला नामक पाठ से उद्धृत किया गया है। इस अंश में लोहे की तराजू को चूहों द्वारा खाया जाना बताकर सेठ द्वारा लौटाने से मना करने पर जीर्णधन द्वारा बुद्धि-बल से बिना किसी विकार को प्रकट करके उस सेठ के पुत्र को अपने साथ स्नान हेतु नदी तट पर ले जाने का तथा वहाँ पर्वत की गुफा में उस बालक को छिपा देने  का वर्णन किया गया है।

हिन्दी अनुवाद- जीर्णधन बोला- “हे सेठजी ! तुम्हारा दोष  नहीं है, यदि चूहों के द्वारा तराजू को खा लिया गया है तो। यह संसार इसी प्रकार का ही है। यहाँ कुछ भी स्थिर नहीं है। किन्तु मैं नदी पर स्नान करने के लिए जाऊँगा। इसलिए तुम अपने इस पुत्र धनदेव नाम वाले को मेरे साथ स्नान की सामग्री के साथ भेज दीजिए।”

वह सेठ अपने पुत्र से बोला-“पुत्र ! तुम्हारे चाचा स्नान के लिए जायेंगे, इसलिए तुम भी इनके साथ जाओ।” इसके बाद वह व्यापारी का पुत्र स्नान की सामग्री को हाथ में लिए हुए प्रसन्न मन से उस अतिथि के साथ चला गया। वैसा ही होने पर उस व्यापारी ने स्नान करके उस बालक  को पर्वत की गुफा में फेंककर, उसके द्वार को एक बड़े शिलाखण्ड से ढककर शीघ्र ही वह घर आ गया।

(3) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

सः श्रेष्ठी पृष्ठवान् ……………………… चौरेणापहृतः” इति।

कठिन शब्दार्थ- पृष्टवान् = पूछा। अभ्यागतः = अतिथि। त्वया सह = तुम्हारे साथ। श्येनन = बाज पक्षी के द्वारा । हतः = ले गया। मिथ्यावादिन् = झूठ बोलने वाले । बालम् = बालक को। हर्तुम् = हरण करने में। सुतम् = पुत्र को। समर्पय = दीजिए। लौहघटिताम् = लोहे से बनी हुई। न  भक्षयन्ति = नहीं खाते हैं । दारकेण = पुत्र से। विवदमानों = झगड़ा करते हुए। तारस्वरेण = जोर से, उच्च स्वर  से। प्रोवाच = बोला। अब्रह्मण्यम् = घोर अन्याय।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी (प्रथमोभागः) के लौहतुला नामक पाठ से उद्धृत है। मूलतः यह पाठ पञ्चतन्त्र के मित्रभेद नामक तन्त्र से संकलित किया गया है। लोहे की तराजू को देने से मना करने पर अतिथि (व्यापारी) सेठ के पुत्र को नदी तट पर स्नान कराने के बहाने से ले जाकर पर्वत की गुफा में छिपा देता है, लौटने पर जब सेठ अपने पुत्र के विषय में पूछता है तो वह उसे बाज पक्षी द्वारा उठा ले जाने की बात कहता है, जिस पर सेठ विश्वास नहीं करता एवं दोनों झगड़ा करते हुए राजदरबार में पहुँच जाते हैं, इसी घटना का प्रस्तुत अंश में वर्णन किया गया  है।

हिन्दी अनुवाद- और उस व्यापारी ने पूछा- “हे अतिथि! कहो, मेरा पुत्र कहाँ है, जो कि तुम्हारे साथ नदी पर गया था?” वह बोला- “नदी के तट से उसे बाज पक्षी हरण करके ले गया।” सेठ बोला-“अरे झूठे! क्या कहीं बाज पक्षी बालक का हरण कर सकता है? इसलिए मेरे पुत्र को लौटा दो, अन्यथा मैं राजदरबार में निवेदन करूँगा।” वह बोला- “हे सत्यवादि! जिस प्रकार बाज बालक को नहीं ले जाता है, उसी प्रकार चूहे भी लोहे से बनी हुई तराजू को नहीं खाते हैं। इसलिए मेरी तराजू लौटा दीजिए यदि तुम्हें पुत्र से कोई प्रयोजन है तो।”

इस प्रकार झगड़ा करते हुए वे दोनों ही राजदरबार में चले गये। वहाँ सेठ जोर से बोला-“अरे! घोर अन्याय, घोर अन्याय! मेरे बालक का इस चोर ने अपहरण कर लिया है।”

(4) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

अथ धर्माधिकारिण ……………. मद्वचः-तुला लौहसहस्त्रस्य नात्र संशयः॥

ते प्रोचुः ………………….. तोषितवन्त्।

कठिन शब्दार्थ- ऊचुः = बोले। श्रेष्ठिसुतः = सेठ के पुत्र को। आह = बोला। अपहृतः = अपहरण कर लिया गया। तच्छ्रुत्वा = यह सुनकर। अभिहितम् = कहा गया है। श्रूयताम्। = सुनिए। मद्वचः = मेरी बातें। हरेत् = हरण करने योग्य। ततः = इसके बाद । आदितः = आरम्भ से। वृत्तान्तं = घटना, समाचार। निवेदयामास = निवेदन किया। विहस्य = हँसकर। संबोध्य = समझा-बुझाकर।

प्रसंग- प्रस्तुत कथांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी’ (प्रथमोभागः) के लौहतुला शीर्षक पाठ से उद्धत है, जो मूलतः पञ्चतन्त्र के मित्रभेद से संकलित किया गया है। इस अंश में व्यापारी और सेठ दोनों के द्वारा कलह करते हुए राजकुल में पहुंच कर एक-दूसरे पर आरोप लगाने का तथा व्यापारी की उक्ति से यथार्थ जानकर धर्माधिकारी द्वारा व्यापारी को उसकी लोहे की तराजू तथा सेठ को उसका पुत्र लौटाकर सन्तुष्ट किये जाने का वर्णन हुआ है।

हिन्दी अनुवाद- इसके बाद न्यायाधीशों ने उस व्यापारी से कहा कि ‘अरे! इस सेठ का पुत्र दे दीजिए।’ वह बोला  ‘मैं क्या करता? मेरे देखते-देखते नदी के किनारे से बाज बालक को उठा ले गया।’ यह सुनकर वे न्यायाधीश बोले- अरे! आपने सत्य नहीं कहा है, क्या बाज बालक का अपहरण करने में समर्थ होता  है? वह बोला- हे सभ्यजनो ! मेरी बातें सुनिए- जहाँ एक टन (हजार किलोग्राम) की लोहे की तराजू को चूहे खा सकते हैं, हे राजन् ! वहाँ पर बाज भी बालक का अपहरण कर सकता है, इसमें कोई सन्देह नहीं है।

वे बोले- “यह कैसे सम्भव है?” इसके बाद उस सेठ (व्यापारी पुत्र) ने धर्माधिकारियों के सामने आरम्भ से लेकर सम्पूर्ण वृत्तान्त सुनाया। तब उन धर्माधिकारियों ने हँसते हुए उन दोनों को आपस में समझाकर तथा परस्पर में तुला एवं बालक को प्रदान करके सन्तुष्ट कर दिया।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर Class 9 Sanskrit

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-

(क) वणिक्पुत्रस्य किं नाम आसीत्?

(ख) तुला कैः भक्षिता आसीत्?

(ग) तुला कीदृशी आसीत्?

(घ) पुत्र केन हृतः इति जीर्णधनः वदति?

(ङ) विवदमानौ तौ द्वावपि कुत्र गतौ?

उत्तराणि- NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi

(क) जीर्णधनः।

(ख) मूषकैः

(ग) लौहघटिता।

(घ) श्येन ।

(ङ) राजकुलम्।

प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) देशान्तर गन्तुमिच्छन् वणिक्पुत्रः किं व्यचिन्तयत्?

(दूसरे देश में जाने की इच्छा करते हुए व्यापारी पुत्र ने क्या सोचा?)

उत्तर- वणिक्पुत्रः व्यचिन्तयत्- “यत्र पूर्वं भोगा: भुक्ताः तत्र विभवहीनः सन् न वसेत्।”

(व्यापारी पुत्र ने सोचा- “जहाँ पहले ऐश्वर्यों का उपभोग किया गया, वहीं पर निर्धन होने पर नहीं रहना चाहिए।”)

(ख) स्वतुलां याचमानं जीर्णधनं श्रेष्ठी किं अकथयत्?

(अपनी तराजू को माँगने वाले जीर्णधन से सेठ ने क्या कहा?)

उत्तर- सः अकथयत्- “भोः ! नास्ति तुला सा तु मूषकैः  भक्षिता।”

(उसने कहा- “अरे! तराजू नहीं है, उसे तो चूहों ने खा लिया।”)

(ग) जीर्णधनः गिरिगुहाद्वारं कया आच्छाद्य गृहमागतः।

(जीर्णधन पर्वत की गुफा के द्वार को किससे ढककर घर  आ गया?)

उत्तर- जीर्णधनः गिरिग्रहाद्वार महत्या शिलया आच्छाद्या गृहमागतः।

(जीर्णधन पर्वत की गुफा के द्वार को बहुत बड़ी शिला से। ढककर घर आ गया।)

(घ) स्नानान्तरं पुत्रविषये पृष्टः वणिक्पुत्रः श्रेष्ठिनं किम्  अवदत्?

(स्नान के बाद पुत्र के विषय में पूछे जाने पर व्यापारी- पुत्र ने सेठ से क्या कहा?)

उत्तर- वणिक्पुत्रः अवदत्- “भोः ! तव पुत्रः नदीतटात् श्येनेन हृतः”।

(व्यापारी- पुत्र ने कहा- “अरे ! तुम्हारे पुत्र का नदी के किनारे से बाज द्वारा अपहरण कर लिया गया।”)

(ङ) धर्माधिकारिण: जीर्णधनश्रेष्ठिनौ कथं तोषितवन्तः?

(धर्माधिकारियों द्वारा जीर्णधन और सेठ को किस प्रकार सन्तुष्ट किया गया?)

उत्तर- धर्माधिकारिभिः तौ परस्परं तुला-शिशु-प्रदानेन तोषितवन्तः।

(धर्माधिकारियों के द्वारा उन दोनों को परस्पर में तराजू और बालक देकर सन्तुष्ट किया गया।)

प्रश्न 3. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-

(क) जीर्णधनः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत्।

उत्तर- कः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत्?

(ख) श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय अभ्यागतेन सह प्रस्थितः।

उत्तर- श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय केन सह प्रस्थित:?

(ग) वणिक् गिरिगुहां बृहच्छिलया आच्छादितवान्।

उत्तरम्- वणिक् गिरिगुहां बृहच्छिलया आच्छादितवान?

(घ) सभ्यैः तौ परस्परं संबोध्य तुला-शिशु-प्रदानेन सन्तोषितौ।

उत्तर- सभ्यैः तौ परस्परं संबोध्य कथं सन्तोषितौ?

प्रश्न 4. अधोलिखितानां श्लोकानाम् अपूर्णोऽन्वयः प्रदत्तः पाठमाधृत्य तम् पूरयत-

उत्तर- NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi

(क) यत्र देशे अथवा स्थाने स्ववीर्यतः भोगाः भुक्ता तस्मिन् विभवहीनः यः वसेत् स पुरुषाधमः।

(ख) राजन् ! यत्र लौहसहस्रस्य तुलां मूषकाः खादन्ति तत्र श्येनः बालकं हरेत् अत्र संशयः न।

प्रश्न 5. तत्पदं रेखातिं करुत यत्र

(क) ल्यप् प्रत्ययः नास्ति (विहस्य, लौहसहस्रस्य, संबोध्य, आदाय)।

उत्तर- लौहसहस्रस्य

(ख) यत्र द्वितीया विभक्तिः नास्ति। (श्रेष्ठिनम्, स्नानोपकरणम्, सत्वरम्, कार्यकारणम्)

उत्तर- सत्वरम्

(ग) यत्र षष्ठी विभक्तिः नास्ति  (पश्यतः, स्ववीर्यतः, श्रेष्ठिनः सभ्यानाम्)

उत्तर- स्ववीर्यतः

प्रश्न 6. सन्धिना सन्धिविच्छेदेन वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

उत्तर- NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

(क) श्रेष्ठ्याह  =  श्रेष्ठी + आहं

(ख) द्वावपि  =  द्वौ + अपि

(ग) पुरुषोपार्जिता   =  पुरुष + उपार्जिता

(घ) यथेच्छया  =  यथा + इच्छया

(ङ) स्नानोपकरणम्  =   स्नान + उपकरणम्

(च) स्नानार्थम्  =   स्नान + अर्थम्

प्रश्न 7.समस्तपदं विग्रहं वा लिखत- Class 9 Sanskrit

उत्तर-  विग्रहः                        समस्तपदम्

(क) स्नानस्य उपकरणम्   स्नानोपकरणम्

(ख) गिरेः गुहायाम्               गिरिगुहायाम्

(ग) धर्मस्य अधिकारी          धर्माधिकारी

(घ) विभवेन हीनाः               विभवहीनाः

(अ) यथापेक्षम् अधोलिखितानां शब्दानां सहायतया ‘लौहतुला’ इति कथायाः सारांशं संस्कृतभाषया लिखत-

वणिक्पुत्रः,  स्नानार्थम्, लौहतुला,  अयाचत्, वृत्तान्तं,  ज्ञात्वा, श्रेष्ठिनं,  प्रत्यागतः,  प्रदानम्

उत्तर- कस्मिंश्चिद् नगरे एक वणिक्पुत्रः आसीत्। निर्धनो भूत्वा सः स्वस्य लौहतुलां कस्यचित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेपभूतां कत्वा देशान्तरं गतः। ततः सुचिरं भ्रान्त्वा पुनः स्वनगरमागत्य श्रेष्ठिनं तुलाम् अयाचत्। श्रेष्ठी अवदत्- सा तुला तु मूषकैः भक्षिता। ततः सः वणिक्पुत्रः श्रेष्ठीपुत्रेण सह नद्यां स्नानार्थं गत्वा तत्र च गिरि-गुहायां तस्य श्रेष्ठिनः पुत्रं प्रक्षिप्य सत्वरं गृहमागतः। यदा सः वणिक्पुत्र: एकाकी प्रत्यागतः तदा श्रेष्ठी स्वपुत्रविषये पृष्टवान् । तेन कथितं यत् “नदीतटात् सः श्येनेन । हृत! तौ विवदमानौ राजकुलं गतौ। तत्र धर्माधिकारिणैः सर्वं वृत्तान्तं ज्ञात्वा तौ संबोध्य परस्परं तुला-शिशु-प्रदानेन च सन्तोषितौ।”

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर Class 9 Sanskrit

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

प्रश्न 1. जीर्णधनः कस्मात् कारणात् देशान्तरं गन्तुमिच्छति?

उत्तर- जीर्णधनः विभवक्षयाद्देशान्तरं गन्तुमिच्छति ।

प्रश्न 2. जीर्णधनस्य गृहे कीदृशी तुला आसीत्?

उत्तर- जीर्णधनस्य गृहे लौहघटिता पूर्वपुरुषोपार्जिता तुलासीत्।

प्रश्न 3. जीर्णधनेन स्वस्य लौहतुला कुत्र निक्षेपभूता कृता?

उत्तर- जीर्णधनेन स्वस्य लौहतुला कस्यचित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेप भूता कृता।

प्रश्न 4. लौहतुलाः कैः भक्षिता?

उत्तर- लौहतुला मूषकैः भक्षिता।

प्रश्न 5. श्रेष्ठिनः पुत्रस्य किन्नाम आसीत्?

उत्तर- श्रेष्ठिनः पुत्रस्य नाम धनदेवः आसीत्।

प्रश्न 6. वणिक्शिशुः स्नानार्थं केन सह प्रस्थितः?

उत्तर- वणिक्शिशुः अभ्यागतेन जीर्णधनेन सह स्नानार्थं प्रस्थितः।

प्रश्न 7. जीर्णधनः श्रेष्ठिनः शिशुं कुत्र प्रक्षिप्य सत्वरं गृहमागतः?

उत्तर- जीर्णधनः श्रेष्ठिनः शिशुं गिरिगुहायां प्रक्षिप्य सत्वरं गृहमागतः।

कथाक्रमसंयोजनम्– Class 9 Sanskrit solutions

प्रश्न- निम्नलिखितक्रमरहितवाक्यानां क्रमपूर्वकं संयोजनं कृत्वा लिखत

(i) जीर्णधनः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छति।

(ii) सः स्वस्य लौहतुलां कस्यचित् श्रेष्ठिनः गृहे निक्षेपभूतां  करोति।

(iii) ततस्तैर्विहस्य तौ परस्परं संबोध्य तुला-शिशु-प्रदानेन सन्तोषितौ।

(iv) विवदमानौ तौ राजकुलं गतौ।

(v) श्रेष्ठी सभ्यानामग्रे आदितः सर्वं वृत्तान्तं निवेदयामास।

(vi) धर्माधिकारिणः तयोः कथनम् असत्यं मन्यन्ते।

(vii) पृष्टे सति सः कथयति यत्- नदीतटात् बालः श्येनेन  हृतः।

(viii) जीर्णधनः वणिक्शिशुना सह स्नानार्थं गच्छति।

(ix) प्रतिनिवत्तिकाले श्रेष्ठी उवाच-त्वदीया तुला  मूषकैर्भक्षिता।

(x) सः तं शिशुं गिरिगुहायां प्रक्षिप्य गृहमागतः।

उत्तर- NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8

(i) जीर्णधनः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छति।

(ii) सः स्वस्य लौहतुलां कस्यचित् श्रेष्ठिनः गृहे निक्षेपभूतां  करोति।

(ix) प्रतिनिवत्तिकाले श्रेष्ठी उवाच-त्वदीया तुला  मूषकैर्भक्षिता।

(viii) जीर्णधनः वणिक्शिशुना सह स्नानार्थं गच्छति।

(x) सः तं शिशुं गिरिगुहायां प्रक्षिप्य गृहमागतः।

(vii) पृष्टे सति सः कथयति यत्- नदीतटात् बालः श्येनेन  हृतः।

(iv) विवदमानौ तौ राजकुलं गतौ।

(vi) धर्माधिकारिणः तयोः कथनम् असत्यं मन्यन्ते।

(v) श्रेष्ठी सभ्यानामग्रे आदितः सर्वं वृत्तान्तं निवेदयामास।

(iii) ततस्तैर्विहस्य तौ परस्परं संबोध्य तुला-शिशु-प्रदानेन सन्तोषितौ।

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