NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6 प्रस्तुत पाठ संस्कृत प्रौढपाठावलिः’ नामक ग्रन्थ से सम्पादित कर लिया गया है। इस कथा में एक ऐसे बालक का चित्रण है, जिसका मन अध्ययन की अपेक्षा खेल-कूद में लगा रहता है। यहाँ तक कि वह खेलने के लिए पशु-पक्षियों तक का आवाहन (आह्वान) करता है किन्तु कोई उसके साथ खेलने के लिए तैयार नहीं होता। इससे वह बहुत निराश होता है। अन्ततः उसे बोध होता है कि सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हैं। केवल वही बिना किसी काम के इधर-उधर घूमता रहता है। वह निश्चय करता है कि अब व्यर्थ में समय गँवाना  छोड़कर अपना कार्य करेगा।

 

भ्रान्तो बालः

षष्ठः पाठः

(भ्रमित बालक)

पाठ का सप्रसङ्ग हिन्दी  अनुवाद

NCERT solutions for class 9 Sanskrit Shemushi

(1) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

भ्रान्तः कश्चन बालः ………… वयस्या सन्तु इति।

कठिन शब्दार्थ

भ्रान्तः = भ्रमित। कश्चन = कोई। क्रीडितुम् = खेलने के लिए। निर्जगाम = निकल गया। केलिभिः = खेल द्वारा । कालं क्षेप्तुम् = समय बिताने के लिए। वयस्येषु = मित्रों में, सहपाठियों में। यतः = क्योंकि। स्मृत्वा = याद करके। त्वरमाणाः = शीघ्रता करते हुए। तन्द्रालुः = आलसी। दृष्टिपथम् = निगाह को। परिहरन् = बचाता हुआ। एकाकी = अकेला। प्रविवेश = प्रविष्ट हो गया। चिन्तयामास = सोचा। एते वराकाः = इन बेचारों को। विरमन्तु = रहने दो। पुस्तकदासाः = पुस्तकों के गुलाम। आत्मानम् = स्वयं को। विनोदयिष्यामि = मनोरंजन करूँगा। भूयः = फिर से। द्रक्ष्यामि = देगा। उपाध्यायस्य = गुरु का। निष्कुटवासिनः = वृक्ष के कोटर में रहने वाले।

प्रसंग

प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्य-पुस्तक शेमुषी’ (प्रथमो भागः) के भ्रान्तो बालः’ नामक पाठ से उद्धृत है, जो मूलतः संस्कृत प्रौढपाठावलिः’ नामक ग्रन्थ से संकलित किया गया है। इस अंश में एक भ्रमित बालक की गतिविधियों का चित्रण हुआ है, वह अध्ययन में मन न लगाकर खेलने के लिए अकेला ही बाहर निकल जाता है।

हिन्दी अनुवाद

कोई भटका (पथभ्रष्ट) बालक विद्यालय जाने के समय पर खेलने के लिए बाहर निकल गया। लेकिन उसके साथ खेलकूद में समय बिताने के लिए, उस समय कोई भी साथी (मित्र) उसे नहीं मिल रहा था। क्योंकि वे सभी पहले दिन के (विद्यालय में पठित) पाठों  को याद कर विद्यालय जाने की जल्दी में थे। आलसी वह बालक लज्जा (शर्म) के कारण उनकी निगाह बचाकर अकेला ही किसी उद्यान (बाग) में प्रविष्ट हो जाता है।

उसने सोचा- “रहने दो इन बेचारे पुस्तकदासों को अर्थात् ये किताबी कीडे मेरे साथ खेलने नहीं चलते हैं तो रहने दो। मैं तो अपना मनोरंजन ही करूँगा। नहीं तो फिर से उस कुपित शिक्षक का मुँह देखना पड़ेगा। (विद्यालय में गया तो) ठीक है, मैं इन कोटरवासियों (वृक्ष के कोटर रूपी घर में रहने वाले) पक्षियों को ही साथी बना लेता हूँ।” (पक्षी ही मेरे साथ खेलने वाले साथी होंगे।)

 

यह भी पढ़ें

Class 9 Sanskrit Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः

Class 9 Sanskrit Chapter 2 स्वर्णकाकः

Class 9 Sanskrit Chapter 3 गोदोहनम्

Class 9 Sanskrit Chapter 4 कल्पतरुः

Class 9 Sanskrit Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

 

(2) NCERT solutions for class 9 Sanskrit Shemushi

अथ स पुष्पोद्यानं …………………………. स्वकर्मव्यग्रो अभवत्।

कठिन शब्दार्थ

पुष्पोद्यानम् = बगीचा । व्रजन्तम् = जाते  हुए। मधुकरम् = भ्रमर को। दृष्ट्वा = देखकर। आह्वत् = बुलाया। न मानयामास = नहीं माना। भूयो भूयः = बार-बार। हठमाचरति = हठ करने पर। अगायत् = गाया। मधुरसंग्रह व्यग्राः = पुष्प-रस के संग्रह में लगे हुए। मिथ्यागवितेन = झूठे गर्व वाले। कीटेन = कीड़े के द्वारा।  अन्यतः = दूसरी ओर । दत्तदृष्टिः = निगाह करके। चटकम् = चिड़िया। चञ्च्वा = चोंच से। तृणशलाकादिकम् = घास के तिनके को। आददानम् = ले जाते हुए को। चटकपोत ! = चिडिया के बच्चे !। एहि = आओ। शुष्कम् = सूखे। स्वादूनि = स्वादयुक्त। भक्ष्यकवलानि = खाने के लिए उपयुक्त कोर। ते = तुम्हें। नीडः = घोंसला। यामि = जाता हूँ। स्वकर्मव्यग्रः = अपने कार्य में संलग्न।

प्रसंग

प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्य-पुस्तक शेमुषी’ (प्रथमो भागः) के भ्रान्तो बालः’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने आलस्य त्यागकर तथा इधर-उधर भटकते हुए अपना समय व्यर्थ में न गंवाकर अपने कर्तव्य में संलग्न होने की प्रेरणा प्रदान की है। प्रस्तुत अंश में भ्रमित बालक द्वारा बगीचे में जाकर एक भ्रमर तथा चिड़िया के बच्चे को अपने साथ खेलने हेतु  बुलाये जाने का एवं उनके द्वारा अपने कार्य की व्यस्तता बतलाते हुए उसके साथ व्यर्थ में खेलने से मना किये जाने का वर्णन किया गया है।

हिन्दी अनुवाद

उसके बाद उसने बगीचे में जाते भ्रमर को देखा तो उसे अपने साथ खेलने के लिए बुलाया। दो-तीन बार उसके बुलाने पर भी वह भ्रमर नहीं माना। तब उस बालक के बार-बार हठ (जिद) करने पर वह गाने लगा अर्थात् “हम तो मधु (फूलों का मीठा रस, शहद) का संचय करने में व्यस्त हैं।” (हमारे पास खेलने को समय नहीं है)।

तब उस बालक ने “व्यर्थ में, गर्व (घमण्ड) से युक्त इस कीड़े को रहने दो।” अतः दूसरी ओर निगाह  करने पर, चोंच में घास (सूखी घास) के तिनके ले जाते हुए चटक (नर चिड़िया) को देखा और (वह) बोला- “अरे प्रिय चिड़े। (चिड़िया के बच्चे) तुम मनुष्य (मेरे) मित्र बनोगे, चलो खेलते हैं। छोड़ो इस सूखी घास को, में तुम्हें स्वादिष्ट तथा खाने की शाखा (टहनी) दूंगा। परन्तु वह तो वटवृक्ष की शाखा’ (टहनी) पर घोंसला बनाना है,’ इसलिए मुझे तो कार्य (करना) है, मैं जा रहा हूँ। यह कहकर अपना कार्य करने में व्यस्त हो गया।

 

(3) NCERT solutions for class 9 Sanskrit Shemushi

तदा खिन्नो बालकः ………….. कुक्कुरः प्रत्यवदत्यो

मां पुत्रप्रीत्या ………………. भ्रष्टव्यमीषदपि ॥ इति।

कठिन शब्दार्थ

खिन्नः = दुःखी। मानुयेषु = मनुष्यों के। नोपगच्छन्ति = पास नहीं जाते हैं। अन्वेषयामि = खोजता हूँ। विनोदयितारम् = मनोरंजन करने वाले को। परिक्रम्य = घूमकर। पलायमानं = भागते हुए को। श्वानम् = कुत्ते को। आवलोकयत् = देखा। प्रीतः = प्रसन्न । संबोधयामास = संबोधित किया। पर्यटसि = भ्रमण कर रहे हो। निदाघदिवसे = गर्मी के दिन में ।  प्रच्छायशीतलम् = शीतल छाया का। तरुमूलम् = पेड़ के नीचे। क्रीडासहायम् = खेल में सहयोगी। अनुरूपम् = उपयुक्त। कुक्कुरः = कुत्ता। माम् = मुझको। पुत्रप्रीत्या = पुत्र के समान प्रसन्नता से। पोषयति = पालन-पोषण करता है। रक्षानियोगकरणात् = रक्षा के कार्य में लगे होने से। ईषदपि = थोड़ा-सा भी। भ्रष्टव्यम् = हटना चाहिए।

प्रसंग

प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्य-पुस्तक शेमुषी’ (प्रथमो भागः) के भ्रान्तो बालः’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इस अंश में भ्रमित बालक द्वारा अपने साथ खेलने हेतु अन्य किसी को न पाकर एक कुत्ते को ही बुलाने का तथा उस कत्ते द्वारा भी अपने स्वामी के कार्य की व्यस्तता बताते हुए उसके साथ खेलने से मना कर दिये जाने की घटना का वर्णन किया गया है।

हिन्दी अनुवाद

इसके बाद दुःखी हुए उस बालक ने पक्षी मनुष्यों के पास नहीं आते, इसलिए मनुष्य की तरह मनोरंजन करने वाले किसी अन्य (प्राणी) को देखता (खोजता) हूँ (ऐसा सोचकर) घूमकर उसने भागे जाते हुए एक कुत्ते को देखा। प्रसन्न हुए बालक ने उसे इस प्रकार से सम्बोधित किया-“अरे। मनुष्य के मित्र ! क्यों तुम इस गर्मी के दिन में (व्यर्थ) भटक रहे हो? इस पेड़ के नीचे की सघन और शीतल (ठण्डी) छाया का आश्रय ले लो।

मैं भी तुम्हारे जैसे किसी, साथ खेलने वाले (सहयोगी) की तलाश में था।” कुत्ते ने उत्तर दिया- “जो मुझे पुत्र की भाँति प्रसन्नतापूर्वक भोजन देता है (पोषण करता है) उस स्वामी के घर की रक्षाकर्म (रखवाली) को  करने में मैं जरा भी असावधानी नहीं कर सकता।” (अतः  मैं जा रहा हूँ।)

 

(4) NCERT solutions for class 9 Sanskrit Shemushi

सर्वै एवं निषिद्धः …………………. पाठशालामुपजगाम।

ततः प्रभृति ………….. च अलभत्।

कठिन शब्दार्थ

सर्वैरेवम् = सभी के द्वारा इस प्रकार। निषिद्धिः = मना किया गया। जगति = संसार में। स्वस्वकृत्ये  = अपने-अपने कार्य में । वृथा = व्यर्थ में। कालक्षेपं समय बिताना। सहते = सहन करता है। तन्द्रालतायां = आलस्य में। कुत्सा = घृणाभाव। समापादिता = उत्पन्न कर दिया है। विचार्य = विचार करके। त्वरितं = शीघ्र ही। उपजगाम = चला गया। विद्याव्यसनी = विद्या में रत रहने वाला। महतीम = महान्। वैदुषीम् = विद्वान् के योग्य। प्रथां = प्रसिद्धि को। सम्पदं = सम्पत्ति को। अलभत = प्राप्त किया।

प्रसंग

प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्य-पुस्तक शेमुषी (प्रथमो भागः) के भ्रान्तो बालः नामक पाठ से उद्धृत है। इस अंश में एक भ्रामित बालक के मन में आलस्य के प्रति घृणा उत्पन्न होने का तथा विद्याभ्यासी बनकर उसके द्वारा प्रसिद्धि एवं सम्पत्ति प्राप्त करने की घटना का प्रेरणास्पद वर्णन हुआ है।

हिन्दी अनुवाद

सभी के द्वारा इस प्रकार से मना कर दिए  जाने पर खण्डित काम (निराश) वह बालक किस प्रकार से  इस संसार में प्रत्येक प्राणी अपने-अपने कार्य में तल्लीन रहता है। मेरी तरह कोई भी व्यर्थ में समय व्यतीत नहीं करता। इन सभी (प्राणियों) को नमन है जिन्होंने मुझमें आलस्य के प्रति वैरस्य अर्थात् घृणा उत्पन्न कर दी। अत: मैं भी अपने योग्य कार्य करता हूँ, यह सोचकर वह शीघ्र पाठशाला में चला गया। तब से लेकर वह (भ्रान्त) बालक विद्याभ्यासी बनकर महान् विद्वज्जनयोग्य प्रसिद्धि को तथा सम्पदा (धन-धान्य) को प्राप्त हुआ।

 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-

(एक पद में उत्तर लिखिए-)

(क) कः तन्द्रालुः भवति?

(ख) बालकः कुत्र व्रजन्तं मधुकरम् अपश्यत्?

(ग) के मधुसंग्रहव्यग्राः अवभवन्?

(घ) चटकः कया तृणशलाकादिकम आददाति?

(ङ) चटकः कस्य शाखायां नीडं रचयति ।

(च) बालकः कीदृशं श्वानं पश्यति?

(छ) श्वानः कीदृशे दिवसे पर्यटसि?

उत्तराणि-

(क) बालः।

(ख) पुष्पोद्यानम्।

(ग) मधुकराः।

(घ) चञ्च्चा ।

(ङ) वटद्रुमस्य।

(च) पलायमानम्।

(छ) निदाघदिवसे।

 

प्रश्न 2. Class 9 Sanskrit

अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) बालः कदा क्रीडितुं अगच्छत्?

(बालक कब खेलने के लिए निकल गया?)

उत्तर- बालः विद्यागमनकाले क्रीडितुं अगच्छत्।

(बालक अध्ययन करने के समय खेलने के लिए निकल गया।)

 

(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थं त्वरमाणा अभवन्?

(बालक के मित्र किसलिए शीघ्रता कर रहे थे?)

उत्तर- बालस्य मित्राणि पाठं स्मृत्वा विद्यालयगमनाय त्वरमाणाः अभवन् ।

(बालक के मित्र पाठ को याद करके विद्यालय जाने के लिए शीघ्रता कर रहे थे।)

 

(ग) मधुकरः बालकस्य आह्वानं केन कारणेन न तिरस्कृतवान्।

(भ्रमर ने बालक के बुलावे को किस कारण से नहीं माना था?)

उत्तर- मधुकरः मधुसंचये व्यस्त आसीत् अनेन सः तस्य आहवानं न तिरस्कृतवान्।

(भ्रमर पुष्प-रस का संग्रह करने में व्यस्त था, इसलिए उसने उसके बुलावे को नहीं माना।)

 

(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत?

(बालक ने किस प्रकार के चिड़े को देखा?)

उत्तर- बालकः तृणानाददानं चटकं अपश्यत्।

(बालक ने घास के तिनकों को ग्रहण किये हुए चिड़े को देखा।)

 

(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थं कीदृशं लोभं दत्तवान्?

(बालक ने चिड़े को किस प्रकार का लालच दिया?)

उत्तर- बालकः लोभं ददन् उवाच-त्यज शुष्कं तृणं अहं ते स्वाभोजनं दास्यामि।

(बालक ने लालच देते हुए कहा—सूखे घास के तिनके को त्यागो, मैं तुम्हें स्वादयुक्त भोजन दूंगा।)

 

(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम अकथयत?

(दु:खी बालक ने कुत्ते से क्या कहा?)

उत्तर- खिन्न बालकः अकथयत्- रे मनुष्याणां मित्र ! किं पर्यटसि वृथा? आगच्छ अत्र शीतलछायायां क्रीडावः।

(दु:खी बालक ने कहा- अरे मनुष्यों के मित्र! व्यर्थ में क्यों घूम रहे हो? आओ, यहाँ शीतल छाया में हम दोनों खेलते हैं।

 

(छ) भग्नमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत्?

(नष्ट हुए मनोरथ वाले बालक ने क्या सोचा?  

उत्तर- भग्नमनोरथः बालः अचिन्तयत्- जगति सर्वे निज निज कार्ये व्यस्ताः, अहमिव न कोऽपि वृथा कालक्षेपं नयति।

(नष्ट हुए मनोरथ वाले बालक ने सोचा– संसार में सभी लोग अपने-अपने कार्य में व्यस्त हैं, मेरी तरह कोई भी व्यर्थ में समय नहीं बिता रहा है।)

 

प्रश्न 3. Class 9 Sanskrit

निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावार्थ हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत-

यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गहे तस्य।

रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि॥

उत्तर- इस संसार में सफल जीवन हेतु प्रत्येक प्राणी को स्वोचित कर्म को नियमित रूप से करना होता है। सम्पूर्ण प्रकृति जैसे सूर्य का प्रतिदिन समय पर उदित होना, वृक्षों का समय पर फलना-फूलना, बादलों का समय पर बरसना, यही संकेत करता है कि इसी प्रकार मनुष्य को भी अपना-अपना कर्म समय पर नियमित रूप से करना चाहिए। क्योंकि जीव-जन्तु भी ऐसा ही करते हैं। जैसे प्रस्तुत श्लोक में कुत्ते का अपने कर्म (स्वामिभक्ति) को बड़ी तत्परता से करते हुए दिखाया गया है। वह रक्षा कर्म में थोड़ी भी असावधानी नहीं करता।

प्रश्न 4. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

भ्रान्तो बालः’ इति कथायाः सारांशं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत।

उत्तर- प्रस्तुत कहानी में एक भ्रान्त (पथभ्रष्ट) बालक को अपने अध्ययनकर्म की अपेक्षा खेलकूद में व्यर्थ में समय बिताते हुए दिखाया गया है कि संसार में जब अन्य सभी प्राणी, जीवजन्तु भी अपने-अपने कर्म को तल्लीन होकर करते हैं तो मनुष्य को भी अपना कर्म अवश्य करना चाहिए, उसे समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।

वह बालक कभी भ्रमर को अपने साथ खेलने के लिए आहवान करता है, तो कभी चटक को, कभी कुत्ते को। परन्तु सभी स्वोचित कर्म में तल्लीन होने के कारण उसके साथ कोई भी खेलने को तैयार नहीं होता। थककर उसे यह एहसास होता है कि उसे भी अपने कर्म के प्रति प्रमाद नहीं करना चाहिए अपित विद्यालय जाकर विद्या ग्रहण करनी चाहिए। और कुछ समय पश्चात उसी बालक ने विद्वत्ता में सफलता (प्रसिद्धि) प्राप्त की तथा खुब धन-सम्पत्ति को भी प्राप्त किया।

 

प्रश्न 5. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-

(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि।

उत्तर- कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि?

(ख) चटकः स्वकर्मणि व्यग्रः आसीत्।

उत्तर- चटकः कस्मिन् व्यग्रः आसीत?

(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति।

उत्तर- कुक्कुरः केषां मित्रम् अस्ति?

(घ) स महतीं वैदुषीं लब्धवान।

उत्तर- सः काम् लब्धवान्?

(ङ) रक्षानियोगकरणात् मया न भष्टव्यम् इति ।

उत्तर- कस्मात् मया न भ्रष्टव्यम् इति?

 

प्रश्न 6. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

‘एतेभ्यः नमः’ इति उदाहरणनुसत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।

उत्तर-

(i) नमः शिवायः

(ii) गुरवे नमः

(iii) शारदायै नमः।

(iv) पित्रे नमः।

(v) परमात्मने नमः।

 

प्रश्न 7. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहः दत्तानि, तानि यथासमक्षं लिखत-

उत्तर-

क’ स्तम्भ               ‘ख’ स्तम्भ

(क) दृष्टिपथम्         (1) दृष्टेः पन्थाः

(ख) पुस्तकदासाः     (2) पुस्तकानां दासाः

(ग) विद्याव्यसनी    (3) विद्यायाः व्यसनी

(घ) पुष्पोद्यानम्      (4) पुष्पाणां उद्यानम्।

 

(अ) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

अधोलिखितेषु पदयुग्मेष एकं विशेष्यपदम् अपरञ्च विशेषणपदम्। विशेषणपदम् विशेष्यपदं च पृथक्-पृथक् चित्वा लिखत-

उत्तर

                                            विशेषणम्    विशेष्यम्

(i) खिन्नः बाल:                   खिन्न:           बाल:

(ii) पलायमानं श्वानम्         पलायमानम्  श्वानम्

(iii) प्रीत: बालकः                  प्रीतः              बालकः

(iv) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि  स्वादूनि        भक्ष्यकवलानि

(v) त्वरमाणा: वयस्याः         त्वरमाणाः     वयस्याः

 

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

परियोजनाकार्यम्

प्रश्न (क) एकस्मिन् स्फोरकपत्रे (Chart-Paper) एकस्य उद्यानस्य चित्रं निर्माय संकलय्य वा पञ्चवाक्येषु तस्य वर्णनं कुरुत।

उत्तर-

(नोट- चित्र छात्र स्वयं बनावें।)

वर्णनम्

(i) इदम् एकम् उद्यानम् वर्तते।

(ii) अत्र विविधानि पुष्पाणि शोभन्ते।

(iii) पुष्पेषु भ्रमराः तिष्ठन्ति।

(iv) उद्याने त्रयः बालकाः सन्ति।

(v) उद्याने अनेके वृक्षाः, पक्षिणः च सन्ति।

(ख) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

परिश्रमस्य महत्त्व’ इति विषये हिन्दी भाषया आङ्ग्लभाषया वा पञ्च वाक्यानि लिखत।

उत्तर-

(i) परिश्रम रूपी सीढ़ी से ही सफलता रूपी शिखर पर पहुंचा जा सकता है। सभी महान व्यक्तियों की सफलता का मूलमंत्र भी परिश्रम’ ही है।

(ii) इस संसार में सभी जीव-जन्तु यहाँ तक कि चींटी भी परिश्रम के द्वारा ही जीवन-यापन करती है।

(iii) परिश्रम से ही सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, केवल इच्छा करने से नहीं।

(iv) धन लक्ष्मी भी परिश्रमी व्यक्ति का ही वरण करती है।

(v) अतः मनुष्य को परिश्रमशील होना चाहिए, क्योंकि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।

 

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भ्रान्तः बालः कुत्र निर्जगाम?

उत्तर- भ्रान्तः बालः क्रीडितुं निर्जगाम।

प्रश्न 2. सर्वेऽपि बालकाः किमर्थं त्वरमाणा बभूवुः?

उत्तर- सर्वेऽपि बालकाः पूर्वदिनपाठान स्मृत्वा विद्यालयगमनाय त्वरमाणा बभूवुः।

प्रश्न 3. तन्द्रालुर्बालः एकाकी कुत्र प्रविवेश?

उत्तर- तन्द्रालुर्बालः एकाकी किमप्युद्यानं प्रविवेश ।

प्रश्न 4. भ्रान्तः बालः पुष्पोद्यानं व्रजन्तं कं दृष्ट्वा तं क्रीडाहेतोराहवयत?

उत्तर- भ्रान्तः बालः पुष्पोद्यानं व्रजन्तं मधुकरं द्रष्ट्वा तं क्रीडाहेतोराहवयत।

प्रश्न 5. मधुकरः किम् अगायत्?

उत्तर- सः अगायत्-“वयं हि मधुसंग्रहव्यग्रा” इति।

प्रश्न 6. भ्रान्तेन बालकेन कीदृशं चटकम् अपश्यत्?

उत्तर- भ्रान्तेन बालकेन चञ्च्वा तृणशलाकादिकमाददानं चटकम् अपश्यत्।

प्रश्न 7. भ्रान्तः बालः चटकाय किं दातुं कथयति?

उत्तर- भ्रान्तः बालः चटकाय स्वादूनिभक्ष्यकवलानि दातुं कथयति।

 

कथाक्रम संयोजनम्

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

प्रश्न अधोलिखितक्रमरहितवाक्यानां क्रमसहितं संयोजन कत्वा लिखत-

(i) सर्वैरेव निषिद्धः स बालः विचारं कृत्वा त्वरित  पाठशालामुपजगाम।

(ii) चटकः तु ‘नीडः कार्यो बटट्ठशाखायां तद्यामि कार्येण’  इत्युक्त्वा गतवान्।

(iii) ततः विद्याव्यसनी भूत्वा सः महती वैदुषी प्रथा सम्पदं  च लेभे।

(iv) सः एकाकी किमप्युद्यानं प्रविवेश।

(v) खिन्नः बालकः परिक्रम्ये कमपि श्वानमवालोकयत्।

(vi) मधुकरः अगायत्—’वयं हि मधुसंग्रहव्यग्रा’ इति।

(vii) सः पुष्पोद्यानं व्रजन्तं मधुकरं दृष्ट्वा तं क्रीडाहेतोराहवयत् ।

(viii) कश्चन भ्रान्तः बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम।

(ix) त्यज शुष्कमेतत् तृणम् स्वादूनि भक्ष्यकवलानि मे दास्यामि।

(x) बालः अन्यतो दत्तदृष्टिश्चटकमेकं दृष्ट्वा अवदत्-‘एहि  क्रीडावः।

उत्तर- NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit

(viii) कश्चन भ्रान्तः बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम।

(iv) सः एकाकी किमप्युद्यानं प्रविवेश।

(vii) सः पुष्पोद्यानं व्रजन्तं मधुकरं दृष्ट्वा तं क्रीडाहेतोराहवयत् ।

(vi) मधुकरः अगायत्—’वयं हि मधुसंग्रहव्यग्रा’ इति।

(x) बालः अन्यतो दत्तदृष्टिश्चटकमेकं दृष्ट्वा अवदत्-‘एहि  क्रीडावः।

(ix) त्यज शुष्कमेतत् तृणम् स्वादूनि भक्ष्यकवलानि मे दास्यामि।

(ii) चटकः तु ‘नीडः कार्यो बटट्ठशाखायां तद्यामि कार्येण’  इत्युक्त्वा गतवान्।

(v) खिन्नः बालकः परिक्रम्ये कमपि श्वानमवालोकयत्।

(i) सर्वैरेव निषिद्धः स बालः विचारं कृत्वा त्वरित  पाठशालामुपजगाम।

(iii) ततः विद्याव्यसनी भूत्वा सः महती वैदुषी प्रथा सम्पदं  च लेभे।

1 thought on “NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6”

Leave a Comment

error: Content is protected !!