NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4, प्रस्तुत पाठ ‘वेतालपञ्चविंशतिः‘ नामक कथा-संग्रह से लिया गया है, जिसमें मनोरञ्जक एवं आश्चर्यजनक घटनाओं के माध्यम से जीवन-मूल्यों का निरूपण किया गया है। इस कथा में जीमूतवाहन अपने पूर्वजों के काल से गृहोद्यान में आरोपित कल्पवृक्ष से सांसारिक द्रव्यों को न माँगकर संसार के प्राणियों के दु:खों को दूर करने का वरदान माँगता है क्योंकि धन तो पानी की लहर के समान चंचल है, केवल परोपकार ही इस संसार का सर्वोत्कृष्ट तथा चिरस्थायी तत्त्व है।
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
चतुर्थः पाठः
कल्पतरुः
(कल्पवृक्ष)
Shemushi Sanskrit class 9 chapter 4 Hindi translation
(1)
अस्ति हिमवान् …………………………………….. शक्नुयात्” इति।
कठिन शब्दार्थ
हिमवान् = हिमालय, सर्वरत्नभूमिः = सभी रत्नों का स्थान । नरेन्द्रः = पर्वतराज। सानोरुपरि = शिखर पर। विभाति = सुशोभित है। गृहोद्याने = घर के बगीचे में। आराध्य = आराधना करके। कुलक्रमागतः = कुल-परम्परा से प्राप्त हुआ। प्रसादात् = कृपा से। सर्वभूतानुकम्पी = सभी प्राणियों पर अनुकम्पा करने वाला। सचिवैः = मन्त्रियों के द्वारा। यौवराज्ये = युवराज के पद पर। सर्वकामदः = सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला। शक्रः = इन्द्र।
प्रसङ्ग
प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी‘ (प्रथमो भागः) के ‘कल्पतरुः‘ शीर्षक पाठ से उद्धत है। मूलतः यह पाठ संस्कृत के सुप्रसिद्ध कथा-संग्रह ‘वेतालपञ्चविंशति‘ से संकलित किया गया है। इस अंश में कञ्चनपुर के राजा जीमूतकेतु के जीमूतवाहन नामक पुत्र उत्पन्न होने का तथा उसे युवराज बनाये जाने का वर्णन हुआ है।
हिन्दी अनुवाद
सब प्रकार के रत्नों का स्थान हिमालय नामक पर्वतराज है। उसके शिखर पर एक कञ्चनपुर नामक नगर सुशोभित था। वहाँ कोई जीमूतकेतु नामक शोभासम्पन्न विद्वानों का स्वामी रहता था। उसके गृह-उद्यान (बाग) में वंश-परम्परा से रक्षित एक कल्पवृक्ष था। उस राजा जीमूतकेतु ने उस कल्पतरु की आराधना करके उसका कृपा से बोधिसत्व के अंश से उत्पन्न जीमूतवाहन नामक पुत्र को प्राप्त किया।
वह महान दानवीर और सब प्राणियों के प्रति दयालु था। उसके गुणों से प्रसन्न होकर और मन्त्रियों द्वारा प्रेरित होकर उस राजा ने कुछ समय बाद जवान हुए उस जीमूतवाहन का युवराज के पद पर अभिषेक कर दिया। युवराज रहते उस जीमूतवाहन को एक बार हिताकांक्षी, पिता समान मन्त्रियों ने कहा “युवराज! तुम्हारे बाग में यह जो सब कामनाओं को पूर्ण करने वाला कल्पतरु स्थित है, वह हमेशा आपके द्वारा पूजनीय है। इसके अनुकूल (कृपारत्) रहते इन्द्र भी हमें बाधा नहीं पहुँचा सकते।”
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(2) Shemushi Sanskrit class 9 chapter 4 Hindi translation
एतत् आकर्ण्य जीमूतवाहनः …………………………….. आराधयामि।
कठिन शब्दार्थ
आकर्ण्य = सुनकर। अन्तरचिन्तयत् = मन में सोचा। बत = खेद है। अमरपादपम् = अमर वृक्ष को। प्राप्यापि = प्राप्त करके भी। पूर्वैः पुरुषैः = पूर्वजों के द्वारा। नासादितम् = प्राप्त नहीं किया। कृपणैः = लोभी जनों द्वारा। अर्थः = धन। अर्थितः = मांगा। आलोच्य = विचार करके। अन्तिकम् = समीप। आसीनम् = बैठे हए। न्यवेदयत् = निवेदन किया। वीचिवत् = जल की तरंगों के समान। अनश्वरः = नष्ट न होने वाला। प्रसूते = उत्पन्न करता है। किमर्थम् = किसलिए। रक्ष्यते = रक्षित है। कल्पपादपम् = कल्पवृक्ष की।
प्रसङ्ग
प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी‘ (प्रथमो भागः) के ‘कल्पतरुः‘ शीर्षक पाठ से उद्धत है। इस अंश में कुल परम्परा से प्राप्त कल्पवृक्ष के विषय में अपने पूर्वजों की स्थिति का वर्णन करते हुए जीमूतवाहन ने परोपकार के लिए उस कल्पवृक्ष की आराधना करने की इच्छा व्यक्त की है।
हिन्दी अनुवाद
यह सुनकर जीमूतवाहन ने मन में सोचा- “अहो खेद है। ऐसे अमर पेड़ (कल्पतरु) को पाकर भी हमारे पूर्वजों ने इससे ऐसा कोई (महान्) फल प्राप्त नहीं किया अपितु कृपणतावश (लोभवश) केवल तुच्छ (स्वल्प) धन ही अपने लिए मांगा। तो मैं इससे अपनी अभीष्ट मनोकामना की सिद्धि करूंगा। इस प्रकार सोचकर वह पिता के समीप आया और आकर सुखपूर्वक बैठे पिताजी से एकान्त में निवेदन किया-“पिताजी! आप तो जानते ही है कि इस संसार-सागर में देह के साथ-साथ यह सम्पूर्ण धन-दौलत जल-तरंग की भाँति चञ्चल (अस्थिर) है।
इस संसार में एकमात्र शाश्वत (अमरणशील) भाव परोपकार (परहित) ही है जो युगों-युगों पर्यन्त यश उत्पन्न करता है, तो हम ऐसे अमर कल्पतरु की किस उददेश्य के लिए रक्षा कर रहे हैं? और जिन मेरे पर्वजों इसकी “यह मेरा है मेरा है, इस आग्रह के साथ रक्षा की थी, वे अब कहा गए?” और यह (कल्पवृक्ष) उनमें से किसका है। और कौव (वे) इसके हैं? इसलिए मैं आपकी आज्ञा से “परहित रूपी एकमात्र फल की सिद्धि के लिए” इस कल्पवृक्ष का आराधना करना चाहता हूँ।”
(3) Shemushi Sanskrit class 9 chapter 4 Hindi translation
अथ पित्रा तथा ………………………………. तरोरुदभूत्।
क्षणेन च स ………………………………… यशः प्रथितम्।
कठिन शब्दार्थ
अभ्यनुज्ञातः = अनुमति पाया हुआ। उपगम्य = पास जाकर। उवाच = बोला। पूर्वेषाम् – पूर्वजों के। कामाः = कामनाएँ। पूरिता: = पूरी की है। अदरिद्राम् = निर्धनता से रहित। एवंवादिनि = इस प्रकार कहे जाने पर। त्यक्तः = छोडा गया। यातः = जा रहा हूँ। वाक् = वाणी। तरोः = वृक्ष से। उदभूत् = निकली। दिवम् = स्वर्ग में। समुत्पत्य = उड़कर। भुवि = पृथ्वी पर। वसूनि = धन । अवर्षत् = वर्षा की। दुर्गतः = दरिद्र, पीडित। सर्वजीवानुकम्पया = सभी जीवों के प्रति कृपा से। प्रथितम् = प्रसिद्ध हो गया।
प्रसङ्ग
प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृत की पाठ्यपुस्तक ‘शेमुषी‘ (प्रथमो भागः) के ‘कल्पतरुः‘ शीर्षक पाठ से उद्धत है। मूलतः यह पाठ ‘वेतालपञ्चविंशति‘ नामक कथा-संग्रह से संकलित किया गया है। इस अंश में कल्पवृक्ष की महिमा का एवं जीमूतवाहन की परोपकार की भावना से प्रसन्न होकर कल्पवृक्ष द्वारा पृथ्वी के लोगों की दरिद्रता को दूर किये जाने का सुन्दर वर्णन किया गया है।
हिन्दी अनुवाद
इसके पश्चात् पिता से वैसा करने की अनुमति पाकर वह जीमूतवाहन उस कल्पतरु के समीप जाकर बोला- “हे देव! आपने हमारे पूर्वजों की अभीष्ट कामनाओं को पूर्ण किया है, अब मेरी भी एक कामना पूर्ण कीजिए। हे देव! आप कुछ ऐसा कीजिए जिससे इस समस्त धरती पर निर्धनता दिखाई न दे। जीमूतवाहन के ऐसा कहने पर उस कल्पवृक्ष से “यह, तुम्हारे द्वारा छोड़ा गया मैं जा रहा हूँ” ऐसी वाणी निकली।”
थोड़ी ही देर में उस कल्पवृक्ष ने ऊपर स्वर्ग में उड़कर पृथिवी पर इतनी धन-वृष्टि की जिससे कोई भी यहाँ दरिद्र नहीं रहा। उसके बाद से उस जीमूतवाहन का यश, प्राणिमात्र के प्रति कृपा भाव रखने के कारण सब जगह प्रसिद्ध हो गया।
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit shemushi
Class 9 Sanskrit पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) जीमूतवाहनः कस्य पुत्रः अस्ति?
उत्तरम्- जीमूतकेतोः।
(ख) संसारेऽस्मिन् कः अनश्वरः भवति?
उत्तरम्- परोपकारः।
(ग) जीमूतवाहनः परोपकारैकफलसिद्धये कम् आराधयति?
उत्तरम्- कल्पपादपम्।
(घ) जीमूतवाहनस्य सर्वभूतानुकम्पया सर्वत्र किं प्रथितम्?
उत्तरम्- यशः।
(ङ) कल्पतरु: भुवि कानि अवर्ष?
उत्तरम्- वसूनि।
प्रश्न 2. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखिए-)
(क) कञ्चनपूरं नाम नगरं कत्र विभाति स्म?
(कञ्चनपुर नामक नगर कहाँ सुशोभित था?)
उत्तरम्- कञ्चनपुरं नाम नगरं हिमवत: शिखर विभाति ।
(कञ्चनपुर नामक नगर हिमालय पर्वत के शिखर पर सुशोभित था।)
(ख) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
जीमूतवाहनः कीदृशः आसीत्?
(जीमूतवाहन कैसा था?)
उत्तरम्- जीमूतवाहनः महान् दानवीरः सर्वभूतानुकम्पी च आसीत्।
(जोमूतवाहन महान् दानवीर और सभी प्राणियों पर कपा करने वाला था।)
(ग) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
कल्पतरोः वैशिष्ट्ययमाकर्ण्य जीमूतवाहनः किं अचिन्तयत्?
(कल्पवृक्ष के वैशिष्ट्य को सुनकर जीमूतवाहन ने क्या सोचा?)
उत्तरम्- अहं ईदृशात् अमरपादपात् अभीष्टं मनोरथं साधयामि इति।
(मैं इस प्रकार के अमरवृक्ष से अभीष्ट मनोरथ को सफल करूँगा।)
(घ) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
हितैषिणः मन्त्रिण: जीमूतवाहनं किम् उक्तवन्तः?
(हितकारी मन्त्रियों ने जीमूतवाहन से क्या कहा?)
उत्तरम्- हितैषिणः मन्त्रिण: जीमूतवाहनम् उक्तवन्तः यत्–“युवराज! योऽयं सर्वकामदः कल्पतरुः तवोद्याने तिष्ठति स तव सदा पूज्य:। अस्मिन् अनुकूले स्थिते सति शक्रोऽपि अस्मान् बाधितुं न शक्नुयात्।”
(हितकारी मन्त्रियों ने जीमूतवाहन से कहा कि-“युवराज ! जो यह सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला कल्पवृक्ष तुम्हारे बाग में स्थित है, उसकी तुम्हें सदा पूजा करनी चाहिए। इसके अनुकूल होने पर इन्द्र भी हमें हानि नहीं पहुँचा सकता है।”)
(ङ) NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
जीमूतवाहनः कल्पतरुम् उपगम्य किम् उवाच?
(जीमूतवाहन ने कल्पवृक्ष के पास जाकर क्या कहा?)
उत्तरम्- जीमूतवाहनः कल्पतरुम् उपगम्य उवाच यत्– “देव! त्वया अस्मत् पूर्वेषाम् अभीष्टाः कामाः पूरिताः, तन्ममैकं कामं पूरय। यथा पृथिवीम् अदरिद्राम् पश्यामि, तथा करोत् देव।”
(जीमूतवाहन ने कल्पवृक्ष के पास जाकर कहा कि- “हे देव! तुमने हमारे पूर्वजों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण किया है, इसलिए मेरी भी एक कामना (इच्छा) को पूरा कीजिए। मैं जिस प्रकार से पृथ्वी को दरिद्रता से रहित अर्थात् सम्पन्न देखू, वैसा ही आप कीजिए।”)
प्रश्न 3. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit shemushi
अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानि कस्मै प्रयुक्तानि?
(क) तस्य सानोरुपरि विभाति कञ्चनपुरं नाम नगरम्।
उत्तर- हिमवते।
(ख) राजा सम्प्राप्तयौवनं तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्?
उत्तर- जीमूतवाहनम्।
(ग) अयं तव सदा पूज्यः ।
उत्तर- कल्पतरुः।
(घ) तात! त्वं तु जानासि यत् धनं विचिवच्चञ्चलम्।
उत्तर- पिता जीमूतकेतुः।
प्रश्न 4. NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit shemushi
अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं पाठात् चित्वा लिखत-
उत्तर- पद पर्याय
(क) पर्वतः – नगः
(ख) भूपतिः – राजा
(ग) इन्द्रः – शक्रः
(घ) धनम् – वसु
(ङ) इच्छितम् – अभिलषितम्
(च) समीपम् – अन्तिकम्
(छ) धरित्रीम् – पृथ्वीम्
(ज) कल्याणम् – हितम्
(झ) वाणी – वाक्
(ज) वृक्षः – तरुः।
प्रश्न 5. Class 9 Sanskrit Chapter 4
‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि। तानि समुचितं योजयत-
‘क‘ स्तम्भ ‘ख‘ स्तम्भ
कुलक्रमागतः परोपकारः
दानवीरः मन्त्रिभिः
हितैषिभिः जीमूतवाहनः
वीचिवच्चञ्चलम् कल्पतरुः
अनश्वरः धनम्
उत्तर–
कुलक्रमागतः कल्पतरुः
दानवीरः जीमूतवाहनः
हितैषिभिः मन्त्रिभिः
वीचिवच्चञ्चलम् धनम्
अनश्वरः परोपकारः
प्रश्न 6. Class 9 Sanskrit Chapter 4
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) तरोः कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत् ।
उत्तर- कस्य कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत्?
(ख) सः कल्पतरवे न्यवेदयत्।
उत्तर- सः कस्मै न्यवेदयत्?
(ग) धनवृष्टया कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत् ।
उत्तर- कया कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्?
(घ) कल्पतरुः पृथिव्यां धनानि अवर्षत्?
उत्तर- कल्पतरुः कुत्र धनानि अवर्षत्?
(ङ) जीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत् ।
उत्तर- कथं जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्?
प्रश्न 7. Class 9 Sanskrit Chapter 4
(क) ‘स्वस्ति तुभ्यम् स्वस्ति शब्दस्य योगे चतुर्थी विभक्तिः भवति । इत्यनेन नियमन अत्र चतुर्थी विभक्तिः प्रयुक्ता। एवमेव (कोष्ठकगतेषु पदेषु) चतुर्थी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
(i) स्वस्ति ……………….. (राजा) I
(ii) स्वस्ति ………………. (प्रजा )
(iii) स्वस्ति……………….. (छात्र)
(iv) स्वस्ति ………………….. (सर्वजन)
उत्तर–
(i) स्वस्ति राज्ञे।
(ii) स्वस्ति प्रजाभ्यः।
(iii) स्वस्ति छात्रेभ्यः।
(iv) स्वस्ति सर्वजनाय।
(ख) Class 9 Sanskrit Chapter 4
कोष्ठकगतेषु पदेषु षष्ठीं विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
(i) तस्य ……………….. उद्याने कल्पतरुः आसीत् । (गृह)
(ii) सः ……………….. अन्तिकम् अगच्छत् । (पितृ)
(iii) ……………….. सर्वत्र यशः प्रथितम् (जीमूतवाहन)
(iv) अयं ……………….. तरुः? (किम्)
उत्तर-
(i) तस्य गृहस्य उद्याने कल्पतरुः आसीत्।
(ii) सः पितुः अन्तिकम् अगच्छत् ।
(iii) जीमूतवाहनस्य सर्वत्र यशः प्रथितम् ।
(iv) अयं कस्य तरुः?
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
Class 9 Sanskrit Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. हिमवतः सानोरुपरि किन्नाम नगरं विभाति?
उत्तर- हिमवतः सानोरुपरि कञ्चनपुरं नाम नगरं विभाति ।
प्रश्न 2. विद्याधरपतिः कः आसीत्?
उत्तर- विद्याधरपतिः जीमूतकेतुः आसीत् ।
प्रश्न 3. कस्य गृहोद्यानेः कुलक्रमागतः कल्पतरुः स्थितः?
उत्तर- जीमूतकेतोः गृहोद्याने कुलक्रमागतः कल्पतरुः स्थितः ।
प्रश्न 4. जीमूतकेतुः कल्पतरुम् आराध्य किम् प्राप्नोत् ।
उत्तर- जीमूतकेतुः कल्पतरुम् आराध्य जीमूतवाहनं नाम पुत्र प्राप्नोत्।
प्रश्न 5. जीमूतवाहनः कीदृशः अभवत्?
उत्तर- जीमूतवाहनः महान् दानवीरः सर्वभूतानुकम्पी च अभवत्।
प्रश्न 6. कस्मिन् अनुकूले स्थिते शक्रोऽपि बाधितुं न शक्नुयात्?
उत्तर- कल्पतरौ अनुकूले स्थिते शक्रोऽपि बाधितुं न शक्नुयात् ।
प्रश्न 7. अस्मिन् संसारसागरे किम् वीचिवच्चञ्चलम्?
उत्तर- अस्मिन् संसारसागरे आशरीरमिदं सर्वं धनं वीचिवच्चञ्चलम्।
कथाक्रम संयोजनम्– Class 9 Sanskrit
प्रश्न- अधोलिखितक्रमरहितवाक्यानां क्रमपूर्वकं संयोजन कृत्वा लिखत-
(i) स कल्पतरुः दिवं समुत्पत्य भुवि वसूनि अवर्षत् ।
(ii) तस्य गुणैः प्रसन्नः राजा तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान् ।
(iii) जीमूतवाहनस्य सर्वजीवानुकम्पया सर्वत्र यशः प्रथितम् ।
(iv) राजा जीमूतकेतुः कल्पतरुम् आराध्य जीमूतवाहनं नाम पुत्रं प्राप्नोत्।
(v) “यथा पृथ्वीमदरिद्रां पश्यामि, तथा करोतु देव” इति जीमूतवाहनः उवाच।
(vi) “सर्वकामदः कल्पतरुः सदा पूज्य!” इति मन्त्रिभिः कथितः।
(vii) परोपकारैकफलसिद्धये इमं कल्पपादपम् आराधयामीति जीमूतवाहनेन उक्तः।
(viii) एकः परोपकार एवास्मिन् संसारेऽनश्वरः यो युगान्तपर्यन्तं यशः प्रसूते।
उत्तर-
(iv) राजा जीमूतकेतुः कल्पतरुम् आराध्य जीमूतवाहनं नाम पुत्रं प्राप्नोत्।
(ii) तस्य गुणैः प्रसन्नः राजा तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान् ।
(vi) “सर्वकामदः कल्पतरुः सदा पूज्य!” इति मन्त्रिभिः कथितः।
(viii) एकः परोपकार एवास्मिन् संसारेऽनश्वरः यो युगान्तपर्यन्तं यशः प्रसूते।
(vii) परोपकारैकफलसिद्धये इमं कल्पपादपम् आराधयामीति जीमूतवाहनेन उक्तः।
(v) “यथा पृथ्वीमदरिद्रां पश्यामि, तथा करोतु देव” इति जीमूतवाहनः उवाच।
(i) स कल्पतरुः दिवं समुत्पत्य भुवि वसूनि अवर्षत् ।
(iii) जीमूतवाहनस्य सर्वजीवानुकम्पया सर्वत्र यशः प्रथितम् ।
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