Class 9 Sanskrit Chapter 3 Godohanam Question Answer
Class 9 Sanskrit Chapter 3,पाठ परिचय- यह नाट्यांश कृष्णचन्द्र त्रिपाठी महोदय द्वारा रचित ‘चतुव्र्यूहम्’ नामक पुस्तक से संक्षिप्त करके और सम्पादित करके उद्धृत किया गया है । इस नाटक में एक ऐसे व्यक्ति का कथानक है जो धनवान् और सुखी बनने की इच्छा से अपनी गाय से एक महीने तक दूध निकालना बन्द कर देता है, जिससे महीने के अन्त में गाय के शरीर में एकत्रित हुए पर्याप्त दूध को एक बार में ही बेचकर धनवान् बन सके।
Class 9 Sanskrit Chapter 3, परन्तु महीने के अन्त में जब वह गाय को दुहने का प्रयास करता है तब उसे दूध की एक बून्द भी प्राप्त नहीं होती है। एक साथ दूध के स्थान पर वह गाय के प्रहारों से रक्तरञ्जित हो जाता है, और वह समझ जाता है कि दैनिक कार्य को यदि महीने भर तक इकट्ठा करके किया जाता है तो उससे लाभ के स्थान पर हानि ही होती है। अतः हमें सदैव अपने सभी कार्य यथासमय करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
गोदोहनम्
(गाय का दूध दुहना)
तृतीयः पाठः
पाठ का हिन्दी अनुवाद
Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
(1) Class 9 Sanskrit Chapter 3
(प्रथमं दृश्यम्)
(मल्लिका मोदकानि रचयन्ती मन्दस्वरेण शिवस्तुतिं करोति)
(ततः प्रविशति मोदकगन्धम् अनुभवन् प्रसन्नमना चन्दनः।)
चन्दनः- अहा! ………….. पूजानिमित्तानि सन्ति ।
कठिन शब्दार्थ
मोदकानि = लड्डू। रचयन्ती = बनाती हई। मन्दस्वरेण = धीमी आवाज में (निम्नस्वरेण) । मनोहरः = मनमोहक (आकर्षक:)। विलोक्य = देखकर (दृष्ट्वा)। रच्यन्ते = बनाये जा रहे हैं (निर्मियन्ते)। विरम = रुको (तिष्ठ)। जिह वालोलुपताम् = जीभ का लालच (रसनालोभम्)। अक्षमः = असमर्थ/असहाय (असमर्थः) ।
हिन्दी अनुवाद
(पहला दृश्य)
(मल्लिका लड्डू बनाती हुई धीमी आवाज में भगवान शिव की स्तुति कर रही है।)
(उसके पश्चात् लड्डुओं की सुगन्ध का अनुभव करता हुआ प्रसन्नचित्त चन्दन प्रवेश करता है।
चन्दन- अरे! सुगन्ध तो मनमोहक है। (देखकर) अरे लड्डू बनाये जा रहे हैं? (प्रसन्न होकर) तब तो स्वाद लेता हूँ। (लड्डू को लेना चाहता है।)
मल्लिका- (क्रोधपूर्वक) रुको। रुको। इन लड्डुओं को मत छुओ (स्पर्श करो)।
चन्दन- किसलिए क्रोध कर रही हो? तुम्हारे हाथ से बनाये हुए लड्डुओं को देखकर मैं जीभ के लालच को नियन्त्रित करने में असहाय हूँ, क्या तुम यह नहीं जानती हो?
मल्लिका- हे स्वामि! अच्छी तरह से जानती हूँ। परन्तु ये लड्डू पूजा के लिए हैं।
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(2) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
चन्दन:- तर्हि ………………………………………… परिपालय।
कठिन शब्दार्थ
सम्पादय = सम्पन्न करो (सम्पन्नं कुरु)। देहि = दीजिए (यच्छ)। श्वः = कल (आने वाला)। धर्मयात्रां = धार्मिक यात्रा। (तीर्थ-यात्राम्)। तवागमनस्य = तुम्हारे आने का (तव आगतस्य)। प्रत्यागमिष्यामः = लौट आयेंगी। धेनोः – गाय का (गवेः)। दुग्धदोहनम् = दूध दहना (पयोदोहनम) । परिपालय = पालन करो (सम्यक् पालनं कुरु)।
हिन्दी अनुवाद
चन्दन – तब तो शीघ्र ही पूजन सम्पन्न करो। और प्रसाद दीजिए।
मल्लिका- अरे, इसमें पूजन नहीं होगा। मैं अपनी सहेलियों के साथ कल सुबह काशी-विश्वनाथ के मन्दिर जाऊँगी, वहाँ हम सब गङ्गा में स्नान और धार्मिक यात्रा करेंगी।
चन्दन – सहेलियों के साथ! मेरे साथ नहीं। (दुःख प्रकट करता है)
मल्लिका- हाँ! चम्पा, गौरी, माया, मोहिनी, कपिला आदि सभी जा रही हैं। इसलिए मेरे साथ तुम्हारे आने का औचित्य नहीं है। हम सब एक सप्ताह के अन्त में लौट आयेंगी। तब तक घर की व्यवस्था और गाय के दूध दुहने की व्यवस्था का ठीक से पालन करना।
(3) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
(द्वितीयं दृश्यम्)
चन्दनः- अस्तु ……………………….. याम्यधुना। (सा निर्गता)
कठिन शब्दार्थ
अस्तु = ठीक है। शिवाः = कल्याणकारी (मङ्गलमय:)। ते = तुम्हारे (तव)। पन्थान: = मार्ग (मार्गाः)। प्रातराशस्य = सुबह के नाश्ते का। मातुलानि = मामी। मातुलः = मामा। पितामहः = दादाजी। त्रिशतसेटकमितम् = तीन सौ लीटर (त्रिशतलीटरमितम) ।
हिन्दी अनुवाद
(दूसरा दृश्य)
चन्दन- ठीक है। जाओ। और अपनी सहेलियों के साथ धार्मिक यात्रा से आनन्दित होओ। मैं सबकुछ कर लूँगा। तुम्हारा मार्ग कल्याणकारी होवे।
चन्दन- मल्लिका तो धार्मिक यात्रा के लिए चली गई है। ठीक है। दूध-दोहन करके उसके बाद सुबह के नाश्ते का प्रबन्ध करूंगा। (स्त्री वेष को धारण करके व दूध का पात्र हाथ में लेकर नन्दिनी (गाय) के पास जाता है।)
उमा- मामीजी! मामीजी!
चन्दन- उमा ! मैं तो मामा हूँ। तुम्हारी मामी तो गङ्गा स्नान के लिए काशी गई है। कहो! तुम्हारा क्या प्रिय (कार्य) करूँ?
उमा- मामाजी ! दादाजी कहते हैं कि एक महीने के बाद हमारे घर में एक बड़ा उत्सव होगा। उसमें तीन सौ लीटर दूध की आवश्यकता है। यह व्यवस्था आपके द्वारा की जानी है।
चन्दन- (प्रसन्न मन से) तीन सौ लीटर दूध । सुन्दर है, दूध की व्यवस्था हो जायेगी, ऐसा दादाजी से तुम कह देना।
उमा- धन्यवाद मामाजी! अब मैं जाती हूँ। (वह निकल जाती है।)
(4) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
(तृतीयं दृश्यम्)
चन्दनः- (प्रसन्नो भूत्वा, अङ्गुलिषु गणयन्)
अहो! ……………………. प्रियतरं किम्?
कठिन शब्दार्थ
गुणयन् = गिनता हुआ। पयांसि = दूध (दुग्धम्)। लप्स्ये = प्राप्त करूँगा। चिन्तयति = विचार करता है (विचारयति)। व्यतीतानि = बीत गए। प्रत्यागच्छति = लौट आती है (प्रत्यायाति)। साश्चर्यम = हैरानी (विस्मय) से (सविस्मयम्)।
हिन्दी अनुवाद
(तीसरा दृश्य)
चन्दन- (प्रसन्न होकर, अँगलियों पर गिनता हुआ) अहा! तीन सौ लीटर दूध ! इससे तो बहुत धन प्राप्त करूँगा। (नन्दिनी को देखकर) हे नन्दिनी ! तुम्हारी कृपा से तो मैं धनवान हो जाऊँगा। (प्रसन्न हुआ वह गाय की बहुत सेवा करता है।)
चन्दन- (विचार करता है) महीने के अन्त में ही दध की आवश्यकता है। यदि प्रतिदिन दोहन (दूध निकालना) करता हूँ तो दूध सुरक्षित नहीं रहता है। अब क्या करूँ? ठीक है, महीने के अन्त में ही पूर्ण रूप से दूध का दोहन करता हूँ। (इस प्रकार क्रम से सात दिन बीत गये। एक सप्ताह के बाद मल्लिका लौट आती है।)
मल्लिका- (प्रवेश करके) स्वामी! मैं लौट आई। प्रसाद चखो (ग्रहण करो)।
(चन्दन लड्डू खाता है और कहता है।)
चन्दन- मल्लिका! तुम्हारी यात्रा तो अच्छी प्रकार से सफल हो गई? काशी-विश्वनाथ की कृपा से प्रिय समाचार सुनाता हूँ। मल्लिका- (हैरानी से) ऐसा है। धर्मयात्रा के अलावा और क्या प्रिय है?
(5) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
चन्दनः- ग्रामप्रमुखस्य ……………………… करणीयः। (द्वावेव निर्गतौ)
कठिन शब्दार्थ
प्राप्स्यामः = प्राप्त करेंगे। धोक्ष्यावः = हम दोनों दूध का दोहन करेंगे। विहाय = छोड़कर (त्यक्त्वा)। विषाणयोः = दोनों सींगों पर। नीराजनेन = प्रज्वलित दीपक द्वारा अर्चना (प्रार्थना) करने से। तोषयतः = प्रसन्न करते हैं। कुम्भकारम् = कुम्हार, घड़ा बनाने वाला।
हिन्दी अनुवाद
चन्दन- गाँव के मुखिया के घर महीने के अन्त में महोत्सव होगा। उसमें तीन सौ लीटर दूध हमारे द्वारा दिया जाना है।
मल्लिका- किन्तु इतना दूध कहाँ से प्राप्त करेंगे?
चन्दन- विचार करो मल्लिका! प्रतिदिन दूध का दोहन करके यदि एकत्रित करेंगे तो वह सुरक्षित नहीं रहेगा। इसलिए रोजाना दूध का दोहन नहीं करते हैं। उत्सव के दिन ही सम्पूर्ण दूध का दोहन करेंगे।
मल्लिका- स्वामी! तुम तो सबसे अधिक चतुर हो। अतिउत्तम विचार है। अब दूध का दोहन छोड़कर केवल नन्दिनी की सेवा ही करेंगे। इससे अधिक से अधिक दूध महीने के अन्त में प्राप्त करेंगे। (दोनों ही गाय की सेवा में संलग्न हो जाते हैं। इस क्रम में घास आदि और गुड़ आदि खिलाते हैं। कभी कभी दोनों सींगों पर तेल का लेप करते हैं, तिलक धारण करते हैं और रात में प्रज्ज्वलित दीपक से अर्चना (प्रार्थना) करके उसे प्रसन्न करते हैं।)
चन्दन- मल्लिका! आओ। कुम्हार के पास चलते हैं। दूध के लिए पात्रों का प्रबन्ध भी करना है। (दोनों निकल जाते हैं।)
(6) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
(चतुर्थं दृश्यम्)
कुम्भकारः-(घटरचनायां लीनः गायति )
ज्ञात्वाऽपि …………………… मृत्तिकाघटः॥
श्लोकान्वयः- यथा एष मृत्तिकाघटः (तथा) सर्वं जीवनं भङ्गुरं ज्ञात्वा अपि अहं जीविकाहेतोः घटान रचयामि।
कठिन शब्दार्थ
घटरचनायाम = घड़े बनाने में। लीनः = संलग्न। मृत्तिकाघटः = मिट्टी का घड़ा। भङ्गुरम् = टूटकर समाप्त होने वाला। जीविकाहेतोः = आजीविका के लिए। रचयामि = निर्माण करता हूँ।
हिन्दी अनुवाद
(चतुर्थ दृश्य)
कुम्भकार- (घड़ा बनाने में संलग्न हुआ गाता है) जिस प्रकार यह घड़ा टूटकर नष्ट होने वाला है, उसी प्रकार सभी का जीवन नष्ट होने वाला है, यह जानकर भी में आजीविका के लिए घडों का निर्माण करता हूँ।
(7) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
चन्दनः- नमस्करोमि ……………………. धन्योऽसि।
कठिन शब्दार्थ
पञ्चदश = पन्द्रह (15) । विक्रयणाय = बेचने के लिए। देहि = दीजिए (यच्छ)। विक्रीय = बेचकर। (विक्रयं कृत्वा) । स्वाभूषणम् = अपना आभूषण । नेच्छामि = नहीं चाहता हूँ (न इच्छामि)।
हिन्दी अनुवाद
चन्दन- नमस्कार करता हूँ तात! मैं पन्द्रह घड़े चाहता हूँ। क्या दोगे?
देवेश- क्यों नहीं? ये (घडे) बेचने के लिए ही हैं। घड़ों को लीजिए और पाँच सौ रुपये दीजिए।
चन्दन- उचित है। परन्तु मूल्य तो दूध बेचकर ही दिया जा सकता है।
देवेश- क्षमा कीजिए पुत्र! मूल्य के बिना तो एक घड़ा भी नहीं दूंगा।
मल्लिका- (अपना आभूषण देना चाहती है) तात! यदि अभी मूल्य देना आवश्यक है तो यह आभूषण ग्रहण कीजिए।
देवेश- पुत्री ! मैं पाप कर्म नहीं करता हूँ। मैं किसी भी प्रकार से तुमको आभूषणों से रहित नहीं करना चाहता हूँ। अपनी इच्छानुसार घड़े ले जाओ। दूध बेचकर ही मूल्य दे देना।
दोनों- धन्य हो तात! धन्य हो।
(8) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
(पञ्चमं दृश्यम्)
(मासानन्तरं सन्ध्याकालः। एकत्र रिक्ताः नूतनघटाः सन्ति । दुग्धक्रेतारः अन्ये च ग्रामवासिनः अपरत्र आसीनाः)
चन्दनः- (धेनुं प्रणम्य, मङ्गलाचरणं विधाय, मल्लिकाम् आह्वयति) मल्लिके ! …… ………..हतोऽस्मि। (चीत्कारं कुर्वन् पतति) (सर्वे आश्चर्येण चन्दनम् अन्योन्यं च पश्यन्ति)
कठिन शब्दार्थ
मासानन्तरम् = एक महीने के बाद। दुग्धक्रेतारः = दूध खरीदने वाले। अपरत्र = दूसरी ओर। आसीनाः = बैठे हुए हैं। प्रणम्य = प्रणाम करके (प्रणाम कृत्वा)। विधाय = करके। आह्वयति = बुलाता है। सत्वरम् । = शीघ्र (शीघ्रम्)। आयामि = आती हूँ (आगच्छामि)। आरभस्व = आरम्भ करो। पष्ठपादेन = पीछे के पैर से। रक्तरञ्जितम् = खून से सना (शोणिताप्लावितम)। अन्योन्यम् = आपस में (परस्परम्) ।
हिन्दी अनुवाद
(पञ्चम दृश्य)
(एक महीने के बाद सायंकाल (का दृश्य)। एक ओर खाली नये घड़े हैं, और दूसरी ओर दूध खरीदने वाले अन्य ग्रामवासी बैठे हुए हैं।)
चन्दन- (गाय को प्रणाम करके, मंगलाचरण करके, मल्लिका को बुलाता है। मल्लिका! शीघ्र आओ।
मल्लिका- आ रही हूँ स्वामी! तब तक दूध का दोहन प्रारम्भ करो।
चन्दन- (जब गाय के पास जाकर दूध दुहना चाहता है, तब गाय पीछे के पैर से प्रहार करती है और चन्दन पात्र (बर्तन) के साथ ही गिर जाता है। नन्दिनी! दूध दीजिए। तुमको क्या हो गया है? (फिर से प्रयास करता है) हाय! मारा गया हूँ। (चीत्कार करता हुआ गिर जाता है) (सभी आश्चर्य से चन्दन को और आपस में देखते हैं।)
(9) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
मल्लिका- (चीत्कारं श्रुत्वा, झटिति प्रविश्य) नाथ!…………. सः ध्रुवं कष्टं लभते।
कठिन शब्दार्थ
श्रुत्वा = सुनकर (आकर्ण्य) । झटिति = शीघ्र (शीघ्रम्) । अनुमतिम् = आज्ञा/अनुमति (आज्ञाम्) । ताडयति = प्रताड़ित करती है। आकार्य = बुलाकर । प्रयतते = प्रयत्न करती है (प्रयत्नं करोति)। अवगच्छति = जानती है (जानाति)। अद्यतनीयम् = आज का। विधीयताम् = करना चाहिए (कर्त्तव्यम्) । ध्रुवम् = निश्चय ही (निश्चयेन) ।
हिन्दी अनुवाद
मल्लिका- (चीत्कार सुनकर, शीघ्र प्रवेश करके) स्वामी! क्या हुआ? किस प्रकार तुम खून से सने हुए हो?
चन्दन- गाय दूध दुहने की अनुमति ही नहीं दे रही है। दोहन कार्य प्रारम्भ करते ही मुझे प्रताड़ित करती हैं। (मल्लिका गाय को स्नेह और वात्सल्य से बुलाकर दूध दुहने का प्रयत्न करती है, किन्तु गाय दूध से रहित है ऐसा जानती है।)
मल्लिका- (चन्दन की ओर) स्वामी! हम दोनों ने अत्यन्त अनुचित किया है कि एक महीने के बाद गाय के दूध का दोहन किया है। वह पीड़ा का अनुभव कर रही है। इसीलिए प्रताड़ित कर रही है।
चन्दन- देवी! मैंने भी जाना है कि हमारे द्वारा सर्वथा अनुचित ही किया गया है कि पूरे महीने दूध का दोहन ही नहीं किया। इसीलिए दूध सूख गया है। सत्य ही कहा गया है— जो आज का कार्य है, वह आज ही करना चाहिए। जिसकी गति विपरीत है वह निश्चय ही कष्ट प्राप्त करता है।
(10) Class 9 Sanskrit Chapter 3 Hindi translation
मल्लिका- आम् भर्तः!……………………. तदसम्॥
कठिन शब्दार्थ
कल्याणकाङ्क्षिणा = कल्याण चाहने वाले के द्वारा (कल्याणेच्छुकेन)। विधातव्यम् = करना चाहिए (कर्त्तव्यम्) | विषीदति = दु:खी होता है (दु:खम आप्नोति) । जवनिका = पर्दा (यवनिका) । क्षिप्रम = शीघता से। कालः = समय (समयः)।
हिन्दी अनुवाद
मल्लिका- हाँ स्वामी ! सत्य ही है। मेरे द्वारा भी पढ़ा गया है कि कल्याण चाहने वाले के द्वारा कार्य को अच्छी प्रकार से विचार करके ही करना चाहिए। जो मनुष्य यह बिना विचार किये करता है, वह दु:खी होता है। किन्तु प्रत्यक्ष रूप से आज ही यह अनुभव किया है।
सभी- दिन का कार्य उसी दिन करना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता है वह निश्चित रूप से कष्ट प्राप्त करता है।
(पर्दा गिरता है)
(सभी मिलकर गाते हैं) शीघ्रता से न करने योग्य, आदान प्रदान और करने योग्य कर्म का महत्त्व समय नष्ट कर देता है।
Class 9 Sanskrit Chapter 3
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. Class 9 Sanskrit Chapter 3
एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) मल्लिका पूजार्थं सखीभिः सह कुत्र गच्छति स्म?
(ख) उमायाः पितामहेन कति सेटकमितं दुग्धम् अपेक्ष्यते स्म?
(ग) कुम्भकार: घटान् किमर्थं रचयति?
(घ) कानि चन्दनस्य जिह्वालोलुपतां वर्धन्ते स्म?
(ङ) नन्दिन्याः पादप्रहारैः कः रक्तरञ्जितः अभवत्?
उत्तराणि-
(क) काशीविश्वनाथमन्दिरम्।
(ख) त्रिशतसेटकमितम्।
(ग) जीविकाहेतोः।
(घ) मोदकानि।
(ङ) चन्दनः।
प्रश्न 2. Class 9 Sanskrit Chapter 3
पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत-
(क) मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं धेनोः कथम् अकुरुताम्?
उत्तरम्- मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं धेनोः दुग्धदोहनं विहाय तस्याः सेवाम् अकुरुताम्।
(ख) कालः कस्य रसं पिबति?
उत्तरम्- काल: क्षिप्रम् अक्रियमाणस्य आदानस्य प्रदानस्य कर्त्तव्यस्य च कर्मणः रसं पिबति।
(ग) घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकार: किं वदति?
उत्तरम्- घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकार: वदति यत् “पत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि। कथमपि, नेच्छामि त्वाम् आभूषणविहीनां कर्तुम्। नयतु यथाभिलषितान घटान् । दुग्धं विक्रीय एव घटमूल्यं ददातु।”
(घ) मल्लिकया किं दृष्ट्वा धेनोः ताडनस्य वास्तविक कारणं ज्ञातम्?
उत्तरम्- मल्लिकया दृष्टम् यत् ताभ्यां मासपर्यन्तं धेनोः दोहनं न कृतम्, येन सा पीडाम् अनुभवति, अत एव सा ताडयति।
(ङ) मासपर्यन्तं धेनोः अदोहनस्य किं कारणमासीत्?
उत्तरम- मासान्ते त्रिशत-सेटकपरिमितं दुग्ध प्राप्तुं तेन च विक्रीय धनिकः भवितुं चन्दनः मासपर्यन्तं धेनोः दोहनं न करोति।
Godohanam Sanskrit class 9
प्रश्न 3. Class 9 Sanskrit Chapter 3
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) मल्लिका सखिभिः सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म।
(ख) चन्दनः दुग्धदोहनं कृत्वा एव स्वप्रातराशस्य प्रबन्धम अकरोत्।
(ग) मोदकानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन्।
(घ) मल्लिका स्वपतिं चतुरतमं मन्यते।
(ङ) नन्दिनी पादाभ्यां ताडयित्वा चन्दनं रक्तरञ्जितं करोति।
उत्तरम्- प्रश्ननिर्माणम्
(क) मल्लिका काभि सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म? |
(ख) चन्दन: दुग्धदोहनं कृत्वा एव कस्य प्रबन्धम् अकरोत?
(ग) कानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन्?
(घ) मल्लिका स्वपतिं कीदशं मन्यते?
(ङ) का पादाभ्यां ताडयित्वाचन्दनं रक्तरञ्जितं करोति? ।
प्रश्न 4. Godohanam Sanskrit class 9
मञ्जूषायाः सहायतया भावार्थे रिक्तस्थानानि पूरयत-
गृहव्यवस्थायै, उत्पादयेत्, समर्थकः, धर्मयात्रायाः, मङ्गलकामनाम्, कल्याणकारिणः
यदा चन्दनः स्वपत्न्या काशीविश्वनाथं प्रति …………………. विषये जानाति तदा सः क्रोधितः न भवति यत् तस्याः पत्नी तं ………………. कथयित्वा सखीभिः सह भ्रमणाय गच्छति अपि तु तस्याः यात्रायाः कृते ……………. कुर्वन् कथयति यत् तव मार्गाः शिवाः अर्थात् …………….. भवन्तु। मार्गे काचिदपि बाधाः तव कृते समस्यां न …………………. । एतेन सिध्यति यत् चन्दनः नारीस्वतन्त्रतायाः आसीत्।
उत्तरम्- यदा चन्दनः स्वपत्न्या काशीविश्वनाथं प्रति धर्मयात्रायाः विषये जानाति तदा सः क्रोधितः न भवति यत् तस्याः पत्नी तं गृहव्यवस्थायै कथयित्वा सखीभिः सह भ्रमणाय गच्छति अपि तु तस्या: यात्रायाः कृते मङ्गलकामनाम् कुर्वन् कथयति यत् तव मार्गाः शिवा: अर्थात कल्याणकारिणः भवन्तु। मार्गे काचिदपि बाधा: तवं कृते समस्यां न उत्पादयेत्। एतेन सिध्यति यत् चन्दनः नारीस्वतन्त्रतायाः समर्थकः आसीत्।
Shemushi Sanskrit Class 9 solutions chapter 3
प्रश्न 5. Class 9 Sanskrit Chapter 3
घटनाक्रमानुसारं लिखत-
(क) सा सखीभिः सह तीर्थयात्रायै काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गच्छति।
(ख) उभौ नन्दिन्याः सर्वविधपरिचर्या कुरुतः।
(ग) उमा मासान्ते उत्सवार्थं दुग्धस्य आवश्यकताविषये चन्दनं सूचयति।
(घ) मल्लिका पूजार्थं मोदकानि रचयति।
(ङ) उत्सवदिने यदा दोग्धुं प्रयत्नं करोति तदा नन्दिनी पादेन प्रहरति।
(च) कार्याणि समये करणीयानि इति चन्दनः नन्दिन्याः पादप्रहारेण अवगच्छति।
(छ) चन्दनः उत्सवसमये अधिकं दुग्धं प्राप्तं मासपर्यन्त दोहनं न करोति।
(ज) चन्दनस्य पत्नी तीर्थयात्रा समाप्य गृहं प्रत्यागच्छति ।
उत्तरम्- घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि–
(घ) मल्लिका पूजार्थं मोदकानि रचयति।
(क) सा सखीभिः सह तीर्थयात्रायै काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गच्छति।
(ग) उमा मासान्ते उत्सवार्थं दुग्धस्य आवश्यकताविषये चन्दनं सूचयति।
(ज) चन्दनस्य पत्नी तीर्थयात्रा समाप्य गृहं प्रत्यागच्छति ।
(ख) उभौ नन्दिन्याः सर्वविधपरिचर्या कुरुतः।
(छ) चन्दनः उत्सवसमये अधिकं दुग्धं प्राप्तं मासपर्यन्त दोहनं न करोति।
(ङ) उत्सवदिने यदा दोग्धुं प्रयत्नं करोति तदा नन्दिनी पादेन प्रहरति।
(च) कार्याणि समये करणीयानि इति चन्दनः नन्दिन्याः पादप्रहारेण अवगच्छति।
Shemushi Sanskrit Class 9 solutions chapter 3
प्रश्न 6. Class 9 Sanskrit Chapter 3
अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति इति प्रदत्तस्थाने लिखत-
उदाहरणम् – स्वामिन्! प्रत्यागता अहम्। आस्वादय प्रसादम्।
क:/का कं/काम् – मल्लिका चन्दनं प्रति
उत्तरम्-
(क) उमा चन्दनं प्रति।।
(ख) चन्दनः उमां प्रति।
(ग) चन्दन: देवेशं प्रति/कुम्भकारं प्रति।
(घ) देवेश: मल्लिकां प्रति ।
(ङ) चन्दनः मल्लिकां प्रति ।
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प्रश्न 7. Shemushi Sanskrit Class 9 solutions chapter 3
पाठस्य आधारेण प्रदत्तपदानां सन्धिं/सन्धिच्छेदं वा कुरुत-
(क) शिवास्ते …………..
(ख) मनः हरः ………….
(ग) सप्ताहान्ते …………..
(घ) नेच्छामि ……………
(ङ) अत्युत्तमः ………….
उत्तरम्-
(क) शिवाः + ते
(ख) मनोहरः
(ग) सप्ताह + अन्ते
(घ) न + इच्छामि
(ङ) अति + उत्तमः।
(अ) Class 9 Sanskrit Chapter 3
पाठाधारेण अधोलिखितपदानां प्रकृति-प्रत्ययं च संयोज्य/विभज्य वा लिखत-
(क) करणीयम्
(ख) वि + क्री + ल्पय् –
(ग) पठितम्
(घ) ताडय् + क्त्वा
(ङ) दोग्धुम्
उत्तरम्-
(क) कृ + अनीयर्
(ख) विक्रीय
(ग) पठ् + क्त
(घ) ताडयित्वा
(ङ) दुह् + तुमुन्।
Class 9 Sanskrit Chapter 3 Godohanam Question Answer
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
Class 9 Sanskrit Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. मल्लिका मोदकानि रचयन्ती किं करोति?
उत्तरम्- मल्लिका मोदकानि रचयन्ती मन्दस्वरेण शिवस्तुति करोति।
प्रश्न 2. चन्दनः कानि दृष्ट्वा जिह्वालोलुपतां नियन्त्रयितुम् अक्षमः अस्ति?
उत्तरम्- चन्दनः स्वपल्याः हस्तनिर्मितानि मोदकानि दृष्ट्वा जिह्वालोलुपतां नियन्त्रयितुम् अक्षमः अस्ति।
प्रश्न 3. मल्लिका स्वसखिभिः सह काश्यां किमर्थं गन्तुमिच्छति?
उत्तरम्- मल्लिका स्वसखिभिः सह काश्यां गङ्गास्नानाय धर्मयात्रार्थं च गन्तुमिच्छति स्म।
प्रश्न 4. Class 9 Sanskrit Chapter 3
ते पन्थानः कीदृशाः सन्तु?
उत्तरम्- ते पन्थानः शिवाः सन्तु ।
प्रश्न 5. चन्दनः स्त्रीवेषं धत्वा कत्र गच्छति?
उत्तरम्- चन्दनः स्त्रीवेषं धृत्वा नन्दिन्याः धेनो: समीपं गच्छति।
प्रश्न 6. कस्य गृहे मासानन्तरं महोत्सवः आसीत्?
उत्तरम्- ग्रामप्रमुखस्य गृहे मासानन्तरं महोत्सवः आसीत्।
प्रश्न 7. चन्दनः कदा सम्पूर्णतया दुग्धदोहनं कर्तुमिच्छति?
उत्तरम्- चन्दनः मासान्ते एव सम्पूर्णतया दुग्धदोहनं कर्तुमिच्छति।
Class 9 Sanskrit Chapter 3 कथाक्रम/घटनाक्रम संयोजनम्
प्रश्न अधोलिखितक्रमरहितवाक्यानां घटनाक्रमानुसारेण संयोजनं कुरुत-
(i) नन्दिनी पुनः पुनः पादप्रहारेण ताडयित्वा चन्दनं रक्तरञ्जितं करोति।
(ii) सः दुग्धदोहनं विहाय नन्दिन्याः सेवां करोति।
(iii) मल्लिका स्वसखिभिः सह काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गच्छति।
(iv) दिनस्य कार्य तस्मिन्नेव दिने कर्त्तव्यम।
(v) महोत्सवे त्रिशत-सेटकमितस्य दुग्धस्य व्यवस्था चन्दनेन करणीया।
(vi) चन्दन: उत्सवदिने एव समग्रं दुग्धदोहनं कर्तुमिच्छति।
(vii) मायाः पितामहस्य गृहे मासान्ते महोत्सवः भविष्यति ।
(viii) मासान्ते चन्दनः धेनोः समीपं गत्वा दोग्धुं प्रयास करोति।
उत्तरम्- वाक्य-संयोजनम्
(iii) मल्लिका स्वसखिभिः सह काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गच्छति।
(vii) मायाः पितामहस्य गृहे मासान्ते महोत्सवः भविष्यति ।
(v) महोत्सवे त्रिशत-सेटकमितस्य दुग्धस्य व्यवस्था चन्दनेन करणीया।
(vi) चन्दन: उत्सवदिने एव समग्रं दुग्धदोहनं कर्तुमिच्छति।
(ii) सः दुग्धदोहनं विहाय नन्दिन्याः सेवां करोति।
(viii) मासान्ते चन्दनः धेनोः समीपं गत्वा दोग्धुं प्रयास करोति।
(i) नन्दिनी पुनः पुनः पादप्रहारेण ताडयित्वा चन्दनं रक्तरञ्जितं करोति।
(iv) दिनस्य कार्य तस्मिन्नेव दिने कर्त्तव्यम।