NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer ‘बस की यात्रा’ हरिशंकर परसाई द्धारा लिखित एक व्यंग्यात्मक कहानी है। इसमें लेखक ने यह बताना चाहा है कि किस प्रकार पुरानी और खराब हालत की बसें सड़कों पर चलती है। उनके मालिक केवल कमाना चाहते हैं। यात्रियों के जान-माल की रक्षा को लेकर उन्हें कोई चिन्ता नहीं रहती है। NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer.
पाठ 3 बस की यात्रा
(हरिशंकर परसाई)
कठिन शब्दार्थ- Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
डाकिन = डाका डालने वाली। श्रद्धा = आदरभाव। वयोवृद्ध = अधिक उम्र की। सदियों = युगों। रंक = गरीब। निमित्त = कारण। निशान = चिह्न। गजब = अजीब बात। नवेली = नई। विदा = छोड़कर जाना। कुच करना = आगे बढ़ना। असहयोग = साथ न देना। सविनय = प्रार्थना सहित । अवज्ञा = न मानना । टेनिंग। = प्रशिक्षण। उम्मीद = आशा। लुभावने = मनभावन । इत्तफाक = संयोग। क्षीण = कमजोर। बियाबान = सुनसान। अंत्येष्टि = अन्तिम क्रिया कर्म। उत्सर्ग = त्याग। दुर्लभ = कठिन। बाहि पसारे = स्वागत करने को तैयार । बेताबी = बेचैनी। तनाव = मानसिक दबाव । इत्मीनान = निश्चित। प्रयाण = प्रस्थान।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
कारण बताएँ-
प्रश्न 1. “मैंने उस कम्पनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धा-भाव से देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर- लेखक के मन में हिस्सेदार के लिए श्रद्धा इसलिए जग गयी, क्योंकि बस के टायर घिस कर बिल्कुल खराब हो रहे थे। परिणामस्वरूप पुलिया के ऊपर बस का टायर पंचर हो गया था जिससे बस जोर से हिलकर रुक गई। अगर बस तेज गति से चल रही होती तो अवश्य ही उछल कर नाले में गिर जाती।
इससे अन्य यात्रियों के साथ-साथ उसकी जान को भी खतरा था। पर वह जान को जोखिम में डालकर यात्रा कर रहा था। जैसी उत्सर्ग की भावना उसके अन्दर थी, वैसी अन्यत्र दुर्लभ थी। उसके साहस और बलिदान की भावना के हिसाब से उसे क्रान्तिकारी आन्दोलन का नेता होना चाहिए था।
प्रश्न 2. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते। “लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर- लोगों ने यह सलाह लेखक को इसलिए दी, क्योंकि वे यह जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। रास्ते में बस कभी भी और कहीं भी धोखा दे सकती है। बस यात्रियों को गंतव्य तक ठीक से पहुँचा ही देगी यह कहना मुश्किल था।
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प्रश्न 3.”ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उत्तर- लेखक को ऐसा इसलिए लगा, क्योंकि जब बस को स्टार्ट किया गया तब पूरी बस जोर की आवाज करती हुई हिलने लगी। ऐसे में लेखक और उसके मित्रों को लगा कि जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के अन्दर बैठे हैं।
प्रश्न 4. “गजब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।” लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर- लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई कि देखने में तो बस अत्यन्त पुरानी खटारा-सी लग रही थी। उसे देखकर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि यह सफर तय कर सकेगी। इसी कारण उसने कम्पनी के हिस्सेदार से पूछा कि यह बस चलती भी है, तब उन्होंने कहा कि यह अपने आप चलती है। यही लेखक की हैरानी का कारण था।
प्रश्न 5. “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर- बस की दशा ऐसी थी कि उसे जबरदस्ती चलाया जा रहा था। कभी भी उसकी ब्रेक फेल हो सकती थी या कोई पुरजा खराब हो सकता था। इस भयभीत मन:स्थिति में भी पेड़ आता उसे देखकर लेखक को डर लगता कि उसकी बस उससे टकरा जायेगी। इसलिए लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन समझ रहा था।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer पाठ से आगे
प्रश्न 1. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए।
उत्तर- ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन‘ महात्मा गाँधीजी के नेतृत्व में मार्च, 1930 में अंग्रेजों के खिलाफ हुआ था। उस समय भारतीय समाज की दशा अत्यन्त दयनीय थी। गरीब जन केवल नमक के साथ रोटी खाकर अपना पेट भर लेते थे। ऐसे में अंग्रेजी शासन ने नमक पर भी टैक्स लगा दिया। इससे गांधीजी बहुत दुःखी हुए।
उन्होंने गुजरात के साबरमती आश्रम से 250 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके समुद्र किनारे बसे दांडी गाँव में नमक बनाकर कानून भंग (तोड़ा) किया। इसे ‘दांडी यात्रा‘, ‘नमक सत्याग्रह’ व ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ आदि नामों से पुकारा जाता है।
प्रश्न 2. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।
उत्तर- ‘सविनय अवज्ञा‘ का उपयोग व्यंग्यकार ने बस की जीर्ण-शीर्ण दशा तथा उसके किसी प्रकार चलते जाने के सन्दर्भ में किया है। लेखक जिस बस में बैठकर यात्रा कर रहा था उस बस के चलने पर उसे उसका एक भी भाग सही नहीं लग रहा था, फिर भी थोड़ी दूर चलने के बाद वह इस प्रकार चलने लगी जैसे उसके सभी भाग मिलकर सविनय अवज्ञा आन्दोलन की तरह एक हो गये हों।
अर्थात उसके सारे हिस्सों के पुर्जो के भेदभाव समाप्त हो गये हो। जिस प्रकार ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ के समय सभी भारतीयों ने आपसी धार्मिक भेदभाव और आपसी मतभेदों को भूलकर अंग्रेजों के द्वारा नमक पर टैक्स लगाने के विरोध में गांधीजी जैसे कुशल ड्राइवर का साथ दिया और सभी ने दाण्डी यात्रा कर समुद्र तट पर नमक बनाकर अंग्रेजों को सबक सिखाया।
प्रश्न 3. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभव को याद करते हुए एक लेख लिखिए।
उत्तर- पिछले माह में अपने विद्यालय की ओर से आगरा घूमने गया था। बस में पैतालीस (45) छात्र और पांच (5) शिक्षक थे। बस निर्धारित समय रात्रि आठ बजे विद्यालय प्रांगण से रवाना हुई।
जैसे ही बस चली हम खुशी से उछल पड़े। हमने बस में नाच-गाना प्रारम्भ कर दिया। शिक्षक भी हमारी मौज-मस्ती देखकर आनन्द लेने लगे। बस सरपट दौड़ते हुए लगभग डेढ़ अण्टे के आस-पास दौसा पहुंची। बस रुकने पर हम सभी बस से उतर कर इधर-उधर घूमे और चांदनी रात में प्रकृति का आनन्द लिया।
ड्राइवर ने चाय पीकर बस स्टार्ट कर दी। हम सब दौड़-दौड़ कर बस में चढ़ गये। गणना के बाद हमारी यात्रा प्रारम्भ हुई। हमारी बस लगभग ग्यारह बजे ‘महुआ’ पहुंची। बस रुकी। कुछ साथियों ने अपने घर से लाया खाना खाया तो कुछ ने होटल में जाकर मनचाहा भोजन किया। भोजन करने के बाद ड्राइवर ने बस स्टार्ट की लेकिन बस स्टार्ट नहीं हुई।
कुछ साथियों ने पीछे से बस को धक्का लगाया। धक्का लगाने से बस धरि-धीरे रेंगी। फिर एक जोरदार झटके के साथ स्टार्ट हो गयी। झटके के कारण बस में बैठे साथी अपने सामने वाली सीट से जा भिडे। खैर किसी के चोट नहीं आई। हम सब दौड़ कर बस में चढ़ लिए। बस चलने लगी।
पन्द्रह-बीस मिनट चलने के बाद एक आवाज के साथ बस रुक गयी। पता चला कि बस का टायर पंक्चर हो गया। हम सब नीचे उतर गये। बस सुनसान अंधेरे में खड़ी हुई थी। ड्राइवर टायर बदलने में लगा हुआ था। उस सुनसान मे हम सब भयभीत हो रहे थे। खेर भगवान की कृपा से टायर लग गया। हम सब बस में बैठ गये। बस स्टार्ट हुई और चल दी।
हम सभी चलती बस के हिचकोलों के बीच निद्रा देवी की गोद में चले गये अर्थात सो गये। इसका पता हमें तभी लगा, जब हमारे शिक्षकों ने आगरा आने वाला है, कहकर हमें जगाया। हम सब हड़बड़ा कर उठ बैठे। अपना-अपना सामान उठाया तब तक बस एक होटल के सामने जाकर खड़ी हो गयी। हम सब बस में से उतरे और होटल में निर्देशानुसार पहुँच गये।
प्रात: होते ही हम सब चाय-नाश्ता करके आगरा देखने चल दिए। घूमते-देखते हम सब दस बजे ‘ताजमहल’ पहुंचे। वहा का आनन्द लिया और ताजमहल को देखा।’ताजमहल’ के अन्दर-बाहर के अप्रतिम सौन्दर्य को निहार कर हमारी सभी की आँखें ठगी की ठगी रह गयीं। इसके बाद हम होटल आए। भोजन किया और विश्राम करने के बाद हम सब ने आगरा के बाजारों तथा ऐतिहासिक किले का भ्रमण किया।
किले का भ्रमण करते समय एक जेबकतरे ने हमारे साथी की जेब का सफाया कर दिया। वह रोने लगा। तभी जेबकतरा भागता हुआ दिखा। हम सबने दौड़कर उसे पकड़ लिया। रुपये तो मिल गये और उसकी पिटाई करने के बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया। साथी रुपये पाकर खुश हो गया। हम सब होटल लौट आए और भोजन करने के बाद बस में बैठकर घर के लिए रवाना हो गये।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer मन-बहलाना
प्रश्न 1. अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए।
उत्तर- यदि बस जीवित प्राणी होती तो अवश्य ही वह अपनी दर्दभरी व्यथा कहती कि आज मैं जर्जर हो चुकी हूँ। पर आज से दस साल पहले जब मैं नयी (जवान) थी उस समय मालिक मेरा बहुत ध्यान रखता था। रोज सुबह मुझे नहला-धुलाकर मेरे भोजन (डीजल, तेल, ग्रीस) का प्रबन्ध करता था।
मेरे शरीर को पोंछता। उस समय मेरी खिड़कियों पर परदे लगे होते थे। टेप रिकार्डर से मेरे अन्दर सुमधुर संगीत गूंजता रहता था। यात्री हमारी गद्दीदार कुर्सियों पर बैठकर यात्रा का पूरा-पूरा आनन्द लेते थे। अपने कोमल हाथों से हमें स्पर्श करके आनन्दित होते थे।
मैं भी उनके साथ इठलाती और झुमती हई राजपथ पर दौड़ती रहती थी। आज वे दिन नहीं रहे। अब मैं जर्जर अवस्था में पहुंच गयी हूँ। मेरे शरीर का ढाँचा हिलने लगा है और जगह-जगह से टूट चुका है। खिड़कियों में गिने-चुने काँच रह गये हैं। मेरे अंग अब साथ नहीं दे रहे हैं। मेरी आँखों (हेडलाइट) की रोशनी भी मद्धिम पड़ गयी है। मेरे पैर (टायर) कहीं पर भी पंचर होकर ठहर जाते हैं।
मेरी ऐसी दयनीय स्थिति में भी मेरा मालिक बिना मेरे जर्जर शरीर का ख्याल किए इतनी सवारियां भर लेता है कि एक ओर जहाँ मुझसे चला नहीं जाता, वहीं मेरा अंग-अंग दुखने लगता है। लेकिन बेरहम मालिक को मुझ पर दया नहीं आती।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer भाषा की बात
प्रश्न 1. बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है। जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो। उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से युक्त आप भी दो-दो वाक्य बनाइए।
उत्तर-
(1) सवारी के अर्थ में–
(क) चलती बस से उतरने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
(ख) बस चलते ही ठंडी हवा के झोंके आने लगे।
(2) अधीनता के अर्थ में–
(क) ईश्वर की इच्छा मनुष्य के वश में नहीं है।
(ख) आजकल संतान पर माता-पिता का वश नहीं चलता।
(3) सिर्फ के अर्थ में
(क) बस करो, कितना बोलोगे?
(ख) अरे भाई! अब बस भी करो, कितना खाओगे?
प्रश्न 2. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कम्पनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।” ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि शब्द वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह जब दो वाक्यों को एक साथ जोड़ना होता है ‘कि’ का प्रयोग होता है। कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।
उत्तर-
(1) कारक चिह्नों से जुड़े वाक्य
- डॉक्टर मित्र ने कहा, “डरो मत, चलो।”
- “यह बस पूजा के योग्य थी।”
- “पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया।”
- “नयी-नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है।”
(2) कि योजक शब्द से बनाने वाले वाक्य
- हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है।
- यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है।
- कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है।
- हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले जा रहे हैं।
प्रश्न 3. “हम फौरन खिड़की से दूर सरक गये। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।” दिए गए वाक्यों में आई ‘सरकना’ और ‘रेंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गति बताती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए, जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं। जैसे-घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर- गति के लिए प्रयुक्त होने वाले शब्द
- चलना – स्कूल का समय हो गया है। आओ स्कूल चलें।
- दौड़ना- मुझे तेज दोड़ना अच्छा लगता है।
- टहलना- प्रात:काल टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- जाना- सुषमा घर से जा रही है।
प्रश्न 4.”काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।” इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में। नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।
(क) जल (ख) हार।
उत्तर- एक ही शब्द के दो अर्थ बताने वाले वाक्यप्रयोग
(क) जल- (पानी, जलना) इस वर्ष जल की एक बून्द न गिरने से धरती जल रही है।
(ख) हार- (पराजय, माला) अगर वह दौड़ में हार जाता तो पुरस्कार में उसे मोतियों का हार प्राप्त नहीं होता।
प्रश्न 5. बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्टक्लाय में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूंकि फर्स्ट संख्या है। फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर- संख्यावाचक विशेषण-
पाँच, चार, आठ-दस पन्द्रह-बीस आदि।
गुणवाचक विशेषण-
वृद्धावस्था, अनुभवी, दयनीय, बलवान आदि।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. बस के खराब हो जाने पर ड्राइवर ने उसे रोका
(क) पुलिया के पास
(ख) पेड़ों की छाया के नीचे
(ग) सुनसान जंगल में
(घ) झील के किनारे।
उत्तर- (ख) पेड़ों की छाया के नीचे
प्रश्न 2. ‘निमित्त’ शब्द का अर्थ है
(क) निर्मित
(ख) के लिए
(ग) कारण
(घ) अभिप्राय
उत्तर- (ग) कारण
प्रश्न 3. लेखक को बस लग रही थी
(क) दयनीय
(ख) खराब
(ग) जर्जर
(घ) टूटी-फूटी
उत्तर- (क) दयनीय
प्रश्न 4. गाँधीजी के नेतृत्व में अवज्ञा आन्दोलन हुआ था
(क) सन् 1935 में
(ख) मार्च, 1930 में
(ग) अप्रैल, 1932 में
(घ) मार्च, 1936 में।
उत्तर- (ख) मार्च, 1930 में
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer रिक्त स्थानों की पूर्ति
प्रश्न 5. रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिये
(i) बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। (श्रद्धा/भाक्त)
(ii) पूरी बस सविनय आन्दोलन के दौर से गुजर रही थी। (गुजर/धूम)
(iii) क्षीण चाँदनी में वक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी। (दयनीय/सुन्दर)
(iv) मैंने उस कम्पनी के हिस्सेदार की तरफ पहली श्रद्धाभाव से देखा। (पहली/दूसरी)
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6. लेखक और उसके मित्रों को कहाँ जाना था?
उत्तर- लेखक और उसके मित्र किसी काम से पन्ना आये थे, उन्हें जबलपुर जाना था।
प्रश्न 7. पन्ना से सतना के लिए कब बस मिलती थी?
उत्तर- पन्ना से सतना के लिए एक घण्टे बाद बस मिलती थी।
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प्रश्न 8. डॉक्टर मित्र ने किसे अनुभवी बताया?
उत्तर- डॉक्टर मित्र ने बस को अनुभवी बताया।
प्रश्न 9. बस की सीट का किससे असहयोग चल रहा था?
उत्तर- बस की सीट का उसकी बॉडी से असहयोग चल रहा था।
प्रश्न 10. एकाएक बस के रुक जाने का क्या कारण था?
उत्तर- बस के एकाएक रुक जाने का कारण टंकी में छेद हो जाना था।
प्रश्न 11. लेखक ने वृद्धा किसे कहा है?
उत्तर- लेखक ने वृद्धा बस को कहा है।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12. लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा क्यों उमड़ पड़ी थी?
उत्तर- लेखक के मन में बस को देखकर श्रद्धा इसलिए उमड़ पड़ी थी क्योंकि वह जिस बस पर चढ़कर यात्रा करने वाला था, उस बस की अवस्था बहुत जीर्ण-शीणं थी। सदियों के अनुभवी निशान लिए हुई थी।
प्रश्न 13. ‘आया है सो जायेगा, राजा-रंक, फकीर’ लेखक का पंक्ति से क्या आशय है?
उत्तर- लेखक का यहाँ आशय है कि इस संसार में जो आया है उसे एक दिन अवश्य जाना पड़ेगा, चाहे वह राजा हो, फकीर हो या भिखारी।
प्रश्न 14. सतना जाने वाली बस में यात्रियों के साथ और कौन जाने वाला था? उसका बस के संबंध में क्या विश्वास था?
उत्तर- सतना जाने वाली बस में यात्रियों के साथ बसकम्पनी का एक हिस्सेदार भी जाने वाला था। उसका विश्वास था कि बस अपने आप अवश्य ही चलेगी।
प्रश्न 15. “हमें ग्लानि हो रही थी।” लेखक और उसके मित्रों को किस कारण ग्लानि हो रही थी?
उत्तर- वह बस बहुत पुरानी थी। उसे लेखक और उसके मित्र ऐसी वृद्धा मान रहे थे, जिस पर वे सवारी कर रहे थे। उस वृद्धा बस के प्राण कभी भी समाप्त हो सकते थे। इस बात से उन सभी को ग्लानि हो रही थी।
प्रश्न 16. “इसे तो किसी क्रान्तिकारी आन्दोलन का नेता होना चाहिए।” लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर- बस कम्पनी का हिस्सेदार भी उस बस में सवार था। वह बस की बुरी हालत तथा उसके दुर्घटना हो जाने की बात जानता था, फिर भी वह अपने प्राणों की परवाह न कर उसमें सवार था। इसी आशय से लेखक ने ऐसा कहा।
प्रश्न 17. डॉक्टर मित्र ने बस के संबंध में क्या व्यंग्य किया?
उत्तर- डॉक्टर मित्र ने बस के संबंध में व्यंग्य करते हुए कहा कि “डरने की कोई बात नहीं है, नयी-नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है। हमें बेटी की तरह प्यार से गोद में लेकर जायेगी।”
प्रश्न 18. लोगों ने लेखक को शाम वाली बस से न जाने की सलाह क्यों दी?
उत्तर- शाम को जाने वाली बस बड़ी ही जर्जर अवस्था में थी। वह कहीं पर भी चलते-चलते रुक सकती थी या दुर्घटनाग्रस्त हो सकती थी। इसलिए लोगों ने लेखक को शाम वाली बस से न जाने की सलाह दी।
प्रश्न 19. शाम वाली बस पूजा के योग्य क्यों मानी जाने लगी थी?
उत्तर- शाम वाली बस इतनी पुरानी थी कि वह एक वृद्धा के रूप में दिखाई देने लगी थी जिसका अंग-अंग क्षीण हो चुका था। लेखक को लगा कि यदि हम इस पर सफर करेंगे तो इसे कष्ट होगा। इसलिए वह पूजा के योग्य मानी जाने लगी थी।
प्रश्न 20. बस के स्टार्ट होने पर लेखक को ऐसा क्यों लगा कि हम इंजन के भीतर बैठे हैं?
उत्तर- बस के स्टार्ट होने पर लेखक को ऐसा लगा कि हम बस के इंजन के भीतर बैठे हैं, क्योंकि बस के स्टार्ट होते ही सारी बस जोर-जोर से हिलने लगी थी और बैठे यात्री भी इंजन के पुर्जो की तरह हिल रहे थे।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 21. लेखक का यह कहना कहाँ तक उचित है कि यह बस गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आन्दोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी?
उत्तर- जब लेखक ने बस के चलने पर उसके किसी भी हिस्से का आपसी सहयोग न देखा तो उसे गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन अर्थात् भारतीयों द्वारा अंग्रेजों का साथ न देना याद आ गया और बस का सही रूप में न चलना बार-बार रुक कर चलना अर्थात् विरोध प्रदर्शित करना लेखक को सविनय अवज्ञा आन्दोलन की याद दिलाने लगा।
इसीलिये लेखक ने कहा कि यह बस गांधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय जवान रही होगी। अर्थात् अपने आप को आजाद कराने के सभी दांव-पेंच जानती है। लेखक का यह कथन पूर्णतया उचित है।
प्रश्न 22. हरिशंकर परसाई की रचना ‘बस की यात्रा‘ की आज के समाज में सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर- हरिशंकर परसाई की रचना ‘बस की यात्रा’ एक व्यंग्यात्मक कहानी है। यह आज के समाज में भी सार्थक है, क्योंकि आज भी हम देखते हैं कि राजमार्ग पर पुराने वाहन धड़ा-धड़ चल रहे होते हैं।
उनके मालिकों को उनकी जर्जर अवस्था की और यात्रियों की जान की कोई परवाह नहीं होती। इस स्थिति-सुधार हेतु सरकार भी प्रयत्नशील रहती है फिर भी बस-मालिक अपने मतलब अर्थात् अधिक से अधिक पैसा कमाने की लालसा से मनमानी करते हैं।
Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer गद्यांश पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 23. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(1) Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस में सफर नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू मिलते हैं? नहीं, बस डाकिन है। बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खुब वयोवृद्ध थी।
सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफर नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। यह बस पूजा के योग्य थी। उस पर सवार कैसे हुआ जा सकता है।
प्रश्न
(क) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर- शीर्षक एकदम खटारा बस।
(ख) लोगों ने बस को ‘डाकिन’ क्यों कहा?
उत्तर- वह बस रास्ते में जगह-जगह खराब होकर समय बर्बाद करती थी, सारा समय खा लेती थी, इस कारण उसे डाकिन कहा गया।
(ग) लोग इस बस से यात्रा करने को राजी क्यों नहीं थे?
उत्तर- बस जर्जर हालत में थी, वह कहीं पर भी खराब हो सकती थी, धोखा दे सकती थी, इसलिए लोग उससे यात्रा करने को राजी नहीं थे।
(घ) ‘बस पूजा के योग्य है। ऐसा भाव लोगों के मन में क्यों आया?
उत्तर- बस केवल पूजा करने योग्य थी, यात्रा करने के योग्य नहीं थी।
(2) Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आन्दोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीटों का बॉडी से असहयोग चल रहा था।
कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समय नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखित
उत्तर- शीर्षक खटारा बस की यात्रा।
(ख) सविनय अवज्ञा आन्दोलन से गांधीजी ने किसके पनि रोष व्यक्त किया था?
उत्तर- सविनय अवज्ञा आन्दोलन से गांधीजी ने ‘नमक कानुन को लेकर अंग्रेज सरकार के प्रति रोष व्यक्त किया था।
(ग) ‘सीटों का बॉडी से असहयोग चल रहा था।’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर- बस की सीटें एकदम कमजोर थीं और लगातार हिल रही थी, इसी कारण लेखक ने ऐसा कहा है।
(घ) अन्त में यात्रियों की समझ में क्या नहीं आ रहा था?
उत्तर- यात्रियों की समझ में यह नहीं आ रहा था कि हम सीट पर बैठे हैं या सीट हमारे सहारे टिकी हुई है।
(3) Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंगटूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे।
मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतजार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
उत्तर- ‘बस की यात्रा।
(ख) लेखक को किस पर भरोसा नहीं रह गया था?
उत्तर- लेखक को बस के ब्रेक, स्टेयरिंग, इंजिन तथा उसके प्रत्येक हिस्से के खराब होने की आशंका से उस बस पर भरोसा नहीं था।
(ग) लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर- बस के हर पेड़ से टकरा जाने की आशंका से लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।
(घ) झील दिखाई देने पर लेखक क्या सोचने लगा था?
उत्तर- झील दिखाई देने पर लेखक सोचने लगा कि बस कहीं इसमें न गिर जाए।
(4) Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
मैंने उस कम्पनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इस बस से सफर कर रहा है। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचो, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है।
इसे तो किसी क्रान्तिकारी आन्दोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इन्तजार करते। कहते “वह महान आदमी आ रहा है जिसने एक टायर के लिए प्राण दे दिए। मर गया, पर टायर नहीं बदला।”
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर- शीर्षक बस-कम्पनी का लालची हिस्सेदार।
(ख) लेखक ने कम्पनी के हिस्सेदार को श्रद्धाभाव से क्यों देखा?
उत्तर- बस की हालत एकदम खराब थी, उससे दुर्घटना हो सकती थी, फिर भी कम्पनी का हिस्सेदार लोभ में आकर उसे चलवा रहा था। इस तरह के आचरण से लेखक ने व्यंग्य-भाव से उसे देखा।
(ग) लेखक कम्पनी के हिस्सेदार के सम्बन्ध में क्या सोचने लगा?
उत्तर- लेखक सोचने लगा कि यह अपनी जान की परवाह न करने वाला महान् आदमी है। इसे तो किसी क्रान्तिकारी दल का नेता होना चाहिए।
(घ) ईश्वर भी उस महान आदमी के बारे में क्या कहेंगे?
उत्तर- ईश्वर भी उस महान् आदमी के बारे में सोचेंगे कि इसने अपने प्राण दे दिये, परन्तु बस का टायर नहीं बदला।
(5) Class 8 Hindi Chapter 3 Question Answer
दूसरा घिसा टायर लगाकर बस फिर चली। अब हमने वक्त पर पन्ना पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी। पन्ना कभी भी पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी। पन्ना क्या, कहीं भी कभी भी पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी। लगता था जिंदगी इसी बस में गुजारनी है और इससे सीधे उस लोक को प्रयाण कर जाना है। इस पृथ्वी पर उसकी कोई मंजिल नहीं है। हमारी बेताबी, तनाव खत्म हो गए। हम बड़े इत्मीनान से घर की तरह बैठ गए। चिंता जाती रही। हँसी-मजाक चालू हो गया।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है? बताइये।
उत्तर- हरिशंकर परसाई द्वारा रचित ‘बस की यात्रा’ पाठ से।
(ख) बस में घिसा टायर क्यों लगाया गया था और क्यों?
उत्तर- बस का पहला टायर पंचर हो गया था, इस कारण उसमें घिसा हुआ टायर लगाया गया था।
(ग) लेखक ने कहाँ सही वक्त पर पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी?
उत्तर- लेखक ने सही समय पर पन्ना पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी, क्योंकि बस कहीं पर भी खराब होकर रुक सकती थी।
(घ) लेखक किसकी चिन्ता से मुक्त हो गया था?
उत्तर- लेखक घर जाने की, जिन्दगी बिताने की तथा खटारा बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका से स्वयं के जीवित रहने की चिन्ता से मुक्त हो गया था।
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